योहन, वपतिस्ता संत पुरोहित जकारिया और एलिजाबेथ के पुत्र, योहन ईसा के अग्रदूत हैं। छठी शताब्दी से चली आई परंपरा के अनुसार उनका जन्म आइन करीम में (येरुसलेम से तीन मील दूर पश्चिम की ओर) हुआ था। उन्होंने पाक्षमा की प्राप्ति के लिये जनसाधारण को पश्चात्ताप का बपतिस्मा (धर्मस्नान) ग्रहण करने का उपदेश दिया और निकट भविष्य में मसीह के आगमन की घोषणा की। ईसा ने योहन के पास जाकर उनसे बपतिस्मा ग्रहण किया। उस समय हेरोद अंमिपास ने अपने भाई की पत्नी हेरोडियस के साथ विवाह किया, इसी कारण योहन खुलमखुल्ला हेरोद को धिक्कारने लगे। तब हेरोद ने उनको कैद में डलवाया ओर बाद में हेरोतियस के अनुरोध से उनका सिर कटवाया।
सन् १९४७ में मृतसागर के निकट कुमरान नामक स्थान में कुछ अत्यंत प्राचीन पोथियाँ मिलीं, जिनसे एस्सीन (Essene) संप्रदाय के विषय में नई जानकारी प्राप्त हुई। संत योहन की विचारधारा तथा साधना उस संप्रदाय के धार्मिक वातावरण से साम्य रखती है किंतु इस सादृश्य का कारण यह है कि दोनों की धार्मिक पृष्ठभूमि में समान रूप से बाइबिल का पूर्वार्ध है। संत योहन इस संप्रदाय के सदस्य थे, इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता।
सं ग्रं.-एंसाइक्लोपीडिया डिक्शनरी ऑव दि बाइबिल, न्यूयार्क, १९६३। [(फ़ादर) आस्कर वेरेक्रुइसे]