यूरेनियमोत्तर तत्व (Transuranic elements, या परायूरेनियम तत्व) आवर्त सारणी (Periodic table) को देखने से ज्ञात होगा कि प्रकृति में पाए जानेवाले तत्वों में यूरेनियम सबसे भारी है और इसकी परमाणु संख्या ९२ है, परंतु कुछ ऐसे मनुष्यनिर्मित तत्व भी हैं जिनकी परमाणु संख्या ९२ से अधिक है। इन तत्वों को हम यूरेनियमोत्तर तत्व, या परायूरेनियम तत्व, कहते हैं। अभी तक परामणु संख्या १०३ तक के तत्व निर्मित हो चुके हैं। ये सारे तत्व अस्थिर तथा रेडियोऐक्टिव गुण के हैं। इनकी खोज तत्वांतरण (transmutation) क्रियाओं द्वारा हुई और ये यूरेनियम तत्व से निर्मित किए गए। रासायनिक गुणों में इनमें बहुत समानता है, जिससे इन्हें एक्टिनाइड (actinide) श्रेणी में रखा जाता है। इनके नाम तथा सबसे स्थिर समस्थानिकों के भार पृष्ठ ४९१ पर सारणी में दिए हैं।

यूरेनियमोत्तर तत्वों में प्लूटोनियम का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका आरंभ में ही उपयोग परमाणु बम में हो चुका था और १९५० ई० से पूर्व ही इसका उत्पादन भी अधिक मात्रा में हो चुका था। इससे उच्च परमाणु संख्या वाले तत्व अधिक अस्थिर होते तत्वों के समस्थानिक इतने अस्थिर हैं कि उनके रासायनिक प्रयोग रासायनिक गुण विरल मृदाओं (rare earths), या लैंथेनाइड (Lanthhanide) तत्वों से मिलते जुलते हैं। यदि भविष्य में १०४, या इससे अधिक परमाणु संख्या के तत्वों का निर्माण संभव हो सका, तो उनके गुण इनसे भिन्न होंगे। वे क्रमश: चौथे, पाँचवें, छठे आदि समूहों के तत्वों के समान होंगे।

यूरेनियमोत्तर तत्व

नाम संकेत परमाणु संख्या समस्थानिक भार

नेप्लूनियम NP������������������ 93������������������������������� 237

प्लूटोनियम Pu������������������� 94������������������������������� 244

ऐमेरिशियम Am����������������� 95������������������������������� 243

क्यूरियम Cm������������������ 96������������������������������� 245

बर्कीलियम Bk������������������� 97������������������������������� 247

कैलिफोर्नियम Cf������������������� 98������������������������������� 251

आइंस्टीनियम Es������������������� 99������������������������������� 254

फर्मियम Fm������������������ 100����������������������������� 256

मेंडलीवियम Md������������������ 101����������������������������� 256

नोबेलियम No������������������ 102����������������������������� 154

लारेंसियम Lw������������������ 103����������������������������� 157

नेप्चूनियम (NP)- ९३ परमाणु संख्यावाले इस तत्व की खोज १९४० ई० में अमरीका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के मैकमिलन और एबिलसन द्वारा की गई। यूरेनियम पर न्यूट्रॉन की नाभिक प्रतिक्रिया द्वारा इस तत्व का निर्माण किया गया। रासायनिक प्रयोगों द्वारा इसकी उपस्थिति की पुष्टि हुई थी।

९२यूरेनियम२३८ + न्यूट्रॉन -९२ऱ्यूरेनियम२३९

(92U233 + on1 - 92U239)

९२यूरेनियम२३९ + ९३नेप्चूनियम२३९ + -१ऱ्इलेक्ट्रॉन

(92U239 - 93Np239 + 1eo)

प्राप्त नेप्चूनियम समस्थानिक का र्ध-जीवनकाल (half life period) २.३ दिन है। नेप्चून ग्रह के आधार पर इसका नाम नेप्चूनियम रखा गया। १९४२ ई. में इसके दूसरे समस्थानिक २३७ की खोज हुई, जिसका अर्ध जीवनकाल २.२ x१० वर्ष है। यह असमस्थानिक अन्य यूरेनियमोत्तर तत्वों की अपेक्षा कम घातक है। नेप्चूनियम के ११ समस्थानिक ज्ञात हैं, जिनकी भार संख्याएँ २३१, २३२, २३३, २३४, २३५, २३६, २३७, २३८, २३९, २४० और २४१ हैं। इसके रासायनिक गुण यूरेनियम से मिलते जुलते हैं।

प्लूटोनियम (Pu)-१९४० ई. में अमरीका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक सीबोर्ग तथा अन्य साथियों ने इस तत्व की खोज की। यूरेनियम २३८ समस्थानिक पर ड्यूट्रान कारणो की बौछार से बनेश् नेप्चूनियम २३८ द्वारा इलेक्ट्रॉन मुक्त करने पर प्लूटोनियम रखा गया। १९४१ ई. में प्लूटोनियम २३९ की खोज हुई। यह समस्थानिक यूरेनियम पर मंद न्यूट्रॉन की प्रक्रिया द्वारा बनाया गया और नाभिकीय अनुसंधानों में अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ। यूरेनियम नाभिक रिऐक्टर में इसका निर्माण सरलता से हो जाता है। इसी कारण इसके रासायनिक गुणों की भली प्रकार जाँच हो सकी है। इसके अनेक यौगिक भी बनाए गए हैं। यूरेनियम के अनेक आयस्कों के प्लूटोनियम अत्यंत सूक्ष्म मात्रा में मिला है। यह यूरेनियम पर प्राकृतिक स्रोतो से उत्पन्न न्यूट्रॉनों की प्रक्रिया द्वारा बनता रहता है।

प्लूटोनियम २३९ यूरेनियम २३५ की भाँति खंडित हो सकता है और नाभिक रिऐक्टरों में ईधंन की भाँति प्रयुक्त हुआ है। इसके १५ समस्थानिक अभी तक ज्ञात हैं, जिनकी भार संख्या २३२ से २४६ है। इसमें २४४ भार वाला समस्थानिक सबसे स्थिर है और उसकी अर्ध जीवनावधि ७.६ x १० वर्ष है।

ऐमेरिशियम (Am)-इस तत्व की खोज १९४४ ई. में हुई। प्लूटोनियम २३९ पर न्यूट्रॉन की बौछार द्वारा बने प्लूटोनियम २४१ नाभिक द्वारा बीटा कण मुक्त करने पर इसका निर्माण होता है।

प्लूटोनियम २३९ + न्यूट्रॉन-प्लूटोनियम २४०

प्लूटोनियम २४० + न्यूट्रॉन-प्लूटोनियम २४१

प्लूटोनियम २४१ - ऐमेरिशियम २४१+बीटा कण

ऐमेरिशियम के १० समस्थानिक प्राप्त हैं जिनमें Am243 का अर्ध जीवनकाल सब से दीर्ध (८००० वर्ष) है रासायनिक प्रयोगों से ज्ञात है कि इसके ३ संयोजकता वाले यौगिक सर्वाधिक स्थायी हैं।

क्यूरियम (Cm)-इस तत्व की खोज १९४४ ई. में ऐमेरिशियम से पहले हुई। इसका निर्माण प्लूटपेनियम २३९ पर ऐल्फा कण की बौछार द्वारा किया गया।

प्लूटोनियम २३९ + ऐल्फा कण-क्यूनियम २४२ + न्यूट्रॉन प्रसिद्ध वैज्ञानिक श्रीमती मैडम क्यूरी की समृति में इसका नाम क्यूरियम रखा गया। इस तत्व के १३ समस्थानिक ज्ञात हैं, जिनमें २४५ भार का समस्थानिक सबसे स्थिर है(अर्ध जीवन अवधि ११,००० वर्ष)।

कैलिफोनियम (Cf)- १९५० ई. में क्यूरियम परमाणुओं पर ऐल्फा कणों की अभिक्रिया द्वारा यह तत्व निर्मित किया गया। अमरीका के कैलिफार्निया प्रदेश के आधार पर इसे कैलिफार्निया नाम मिला। कैलिफार्नियम के ११ समस्थानिक ज्ञात हैं, जिनमें २५१ भार का समस्थानिक सबसे स्थिर है (अर्धजीवन अवधि ७०० वर्ष)।

आइंस्टीनियम (Es)- प्रशांत महासागर में १९५२ ई. में परमाणु विस्फोट के खंड मे ंइस तत्व की सर्वप्रथम खोज हुई थी। १९५४ ई. के लगभग एक ही समय में अमरीका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय तथा आर्गन राष्ट्रीय प्रयोगशाला और स्वीडन की स्टॉकहोमश् प्रयोगशाला में इस तत्व का निर्माण हुआ। यूरेनियम २३८ पर नाईट्रोजन नाभिक की बौछार द्वारा इसे सर्वप्रथम बनाया गया था। विश्वप्रसिद्धश् वैज्ञानिक आइंस्टी के समान में इस तत्व का नाम आइंस्टीनियम रखा गया। अभी तक इसके दस समस्थानिक ज्ञात है जिनमें सबसे स्थिर समस्थानिक Es २५४ की अर्ध-जीवनावधि २८० दिन है।

फर्मियम (Fm)-यूरेनियम पर तीव्र ऑक्सिजन आयनों की क्रिया द्वारा इसका निर्माण किया गया था। १९५२ ई. के प्रशांत सागर के विस्फोट में इसके कण भी पाए गए थे। इसके सात समस्थानिक ज्ञात हैं, जिनमें २५६ भार का समस्थानिक सबसे स्थायल है।

मेंडलीवियम (Md)-सर्वप्रथम १९५५ ई. में इस तत्व का निर्माण हुआ। आइंस्टीनियम पर ऐल्फा कण के आक्रमण द्वारा इसका निर्माण संभव हुआ। प्रसिद्ध रूसी रसायनज्ञ मेंडलीव की स्मृति में इसका नाम मेंडलीवियम रखा गया। यह अत्यंत अस्थायी परमाणु हैं।

नोवेलियम (No)-१९५७ ई. में स्वीडन के नोबेल संस्थान में क्यूरियम२४४ नाभिक पर कार्बन आयन के आक्रमण द्वारा इसका सर्वप्रथम निर्माण हुआ। नोबेल पुरस्कार के संस्थापक नोबले के समान में इसका नाम नोबेलियम रखा गया।

लारैशियम (Lw)-१९६२ ई. में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की लारेंस प्रयोगशाला में इस तत्व के निर्माण की घोषणा हुई। ऐसा अनुमान है कि २५७ भार के कुछ परमाणु इन प्रयोगों द्वारा बने थे इस तत्व का नाम लारेंशियम प्रस्तावित किया गया है।

[रमेशचंद्र कपूर]