यूटोपिया (Utopia) काल्पनिक आदर्श समाज। व्युत्पत्ति के अनुसार यूटोपिया ग्रीक 'यो' ( ou=नहीं) तथा टोपोज (topos=स्थान) से बना है, अत: यह पद ऐसे आदर्श समाज का निर्देशश् करता है जो कहीं नही है। अंग्रेजी में इस शब्द के प्रचलन का श्रेय टॉमस मोर (१४७८-१५३५) को दिया जाता है, जिसने अपने आदर्श समाज की कल्पना में प्रस्तुत, १५१६ में प्रकाशित, ग्रंथ का नाम 'यूटोपिया' रखा। अव्यावहारिकता का भाव होने के कारण इस शब्द का कभी कभी अवज्ञा के अर्थ में प्रयोग किया जाता है, परंतु यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यूटोपिया की कल्पना सामाजिजक विचारकों एवं सुधारकों के लिये महत्वपूर्ण प्रेरक तत्व रही है। यूटापियावादी चिंतन में तथा समाजवैज्ञानिक चिंतन में उचित ही भेद किया जाता है, क्योंकिश् यूटोपियावादी चिंतन एक प्रकार से सामाजिक आदर्शो का मूल्यांकन है, वस्तुस्थिति की व्याख्या नहीं। इस प्रकार के चिंतन में विचारक कभी काल्पनिक आदर्श समाज का साकार चित्र प्रस्तुत करते हुए आदर्श समाज की या सामाजिक एकता की अपनी धारण का विश्लेषण करता है, और कभी सामाजिक आदेशोें के तार्किक विश्लेषण के द्वारा अपने आदर्श समाज का साकार चित्र प्रस्तुत करते हुए आदर्श समाज की या सामाजिक एकता की अपनी धारणा का विश्लेषण करता है, और कभी सामजिक आदेशें के तार्किक विश्लेषण के द्वारा अपने आदर्श समाज को व्यक्त करता है। परंतु सामाजिक वस्तुस्थिति से यूओपियावादी चिंतन का घनिष्ठ संबंध है, क्योंकि यूओपिया की कल्पना सामाजिक विषमताओं के प्रति विचारक की प्रतिक्रिया ही है। प्लेटों का 'रिपब्कि' आसानी से पहला यूटोपिया कहा जा सकता है। एथंस के सामाजिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टता तथा अवसरवादिता, सुकरात की कानूनी निर्मम हत्या, आदि कुछ ऐसे तथ्य थे जिन्होंने प्लेटो को एक ऐसे समाज की कल्पना के लिये पेरित किया जहाँ न्याय की व्यवस्था हो। इसी प्रकार मोर का 'यूटोपिया' सामतवादी इंग्लैंड में नए औद्योगिक समाज के जन्म के समय व्याप्त आर्थिक विषमता, बेकारी तथा कठोर दंडव्यवस्था की प्रतिक्रिया था। (दे० मोर, टामस)। टोमासो केंपनेला का 'सिविटास सोली' (१६२३) बेकन का 'न्यू एटलांटिस' (१६२७) तथा हेस्टिंन का 'ओशियाना' (१६५६) १७ वीं शताब्दी के प्रसिद्ध यूटोपिया ग्रंथ है। १८वीं तथा १९वीं शताब्दियों के प्रमुख यूटोपिया-वादी रौबर्ट ओवेन (१७७१-१८५८), सेंट साइमन (१७६०-१८२५) तथा चार्ल्स फूरियर (श्श् १७७२-१८३७) माने जाते हैं। ये सभी विचारक उद्योग तथा विज्ञान पर आधारित समाजवादी समाज की कल्पना प्रस्तुत करते हैं। आधुनिकतम यूटोपिया की कल्पना हमें गांधी के 'सर्वोदय' तथा विनोबा के 'स्वराज्य शास्त्र' (१९५७) से मिलती है, जिसमें सभ्यता को आर्थिक स्वार्थ के स्थान पर कौटुंबिकता पर आधारित करने की चेष्टा की गई है।