याम्योतर वृत (Transit Circle, Meridian Circle ) वेधशाला के अनिवार्य उपकरणों में से एक उपकरण हैं । इसकी सहायता से खगोलीय पिंड के खगोलीय याम्योतर को पार करने के ठीक समय का निर्धारण कर, पिंड का यथार्थ विषुवांश (right ascension ) ज्ञात किया जा सकताहैं।श् यह याम्योतर (transit instrument) का उन्नत रूप है और किसी खगोलीय पिंड की क्रांति (declination ) निर्धारित करने में भी उपयोगी हैं ।

इसमें प्रधानता: अपवर्तक दूरदर्शी होता है, जो क्षैतिज अक्ष के समकोण पर दृढ़ता से स्थिर होता हैं । अक्ष पूर्व और पश्चिम दिशा का ठीक संकेत करता हैं, जिसमें दूरदर्र्शी, अक्ष पर घुर्णन करते समय, सदा ही याम्योतर के समतल में रहता हैं । यथार्थ मापन के लिये अभिद्दश्यक काच (object glass ) के नाभीय समतल पर विषम संख्यक तारों की एक अंशांकित झॅझरी (grill) होती हैं, जिसका केंद्रीय तार याम्योतर में स्थिति होता हैं ।

याम्योतर वृत और याम्योतर यंत्रों में यह हैं कि इस वृत में दूरदर्शी के दोनो ओर सुक्ष्म

अंशांकित मंडलक , जिनके समतल अक्ष लंघकोण में होते हैं, क्षैतिज अक्ष से आबद्ध होते हैं ।

इन मंडलकों से खगोलीय विषुवत् रेखा के किसी कोण पर देखे गए बिंब की क्रांति निर्धारित

की जा सकती हैं । [आ० स०]