यम (Pluto) और मंडल का नर्वा तथा अंतिम यह है। इसकी कक्षा सौरमंडल के छोर पर है। इसकी सूर्य से माध्य दूरी पृथ्वी से सूर्य की माध्य दूरी की ३९, ४६ गुनी है। इसकी उत्केंद्रता ०.२४९ तथा इसकी कक्षा का क्रांतिवृत से १७� १९� झुकाव है। इसकी बहुत सी बातों का ठीक ज्ञान नहीं हुआ है, तो भी अनुमान है कि इसका माध्य व्यास पृथ्वी के व्यास का ४६ है तथा इसकी द्रव्यमात्रा पृथ्वी के की द्रव्यमात्रा की १ + .२३ है। इस प्रकार इसका धनत्व पृथ्व के धनत्व का लगभग १० गुना होगा। इसमें न तो वायुमंडल है, न इसका कोई चंद्रमा है।
वरूण की गतियों में अनियमितता के कारण उसकी कक्षा के ब्ह्राावती एक ग्रह की संभावना हुई । उसे खोजने के लिये लावेल तथा पिकरिंग ने कठिन गणना द्वारा उसकी स्थिति की भविष्यवाणी की । किन्तु उस भविष्यवाणी से कई वर्ष पीछे क्लाइड टोंबो (Clyde Tombaugh) ने १९३० में इसका पता लगाया । इसकी लघु आक्ति तथा कक्षा की विशेषता के कारण यह संभावना व्यक्त की गई हैं । यह कभी वरूण का उपग्रह था जो उसके आकर्षण से मुक्त होकर स्वत्त्रां ग्रह बन गया हैं । [मुरारीलाल शर्मा]