यति वेदकालीन यज्ञविरोधी मानवकुल (ऋ. ८.३.९) जो इंद्र का कोपभाजन बनकर नष्ट हो गया। केवल तीन व्यक्ति इंद्र की कृपा से बचे जिनको उन्होंने क्रमश: ब्रह्म, क्षात्र और वैश्य विद्या की शिक्षा दी थी।
यति नामक नहुष के ज्येष्ठ पुत्र का उल्लेख भी मिलता है जो अपने अनुज के राज्य सौंप स्वयं तपश्चर्या करने वन चला गया था।