म्यूरिल्लो बातोलोमी एस्तबान श्(१६१७-१६८२) स्पेनी चित्रकार। उसने इटालियन स्कूल के एक सामान्य कलाकार जॉन दि कैस्तिल्लो से पेंटिंग की शिक्षा प्राप्त की। सेलि के पब्लिक फेयर के लिए कुछ बेढंगे चित्रण के बलबूते पर ही उसे अपनी रोजी कमाने के लिए बाध्य होना पड़ा। बाद में वह मैड्रिड चला गया, जहाँ सुप्रसिद्ध बेला जेकब से उसका संपर्क हुआ और राम के अन्य कलाकारों की चीजें ्ह्रदयंगम करने और अध्ययन करने का उसे मौका मिला। अगले दो वर्षो तक रिबेरा, वांडीक और वेलाज़केज़ की अनुकृति पर उसने कितने ही चित्र बनाए और शनै: शनै: इस दिशा में उसके प्रयत्न तत्कालीन रोम सम्राट् के संमुख भी आए।
रोम में बने रहने का ही उससे आग्रह किया गया। लेकिन उसने अपनी जन्मभूमि लौटने को ही महत्व दिया। सेविल में सान फ्रांसिस्को कार्वेट में उसने अपनी सेवाएँ अर्पित कर दीं और बहुत बड़े बड़े ग्यारह भित्तिचित्रों का निर्माण किया।
१६४८ में म्युरिल्लो का विवाह एक बड़े ही धनिक परिवार की लड़की से हुआ। उसका घर बहुप्रवृत्ति के कलाकारों से भर गया। उन्हीं दिनों अपने प्रसिद्ध चित्र �मिस्त्र मे पलायन �का उसने निमार्ण किया । डौन जान फेडरिगो के आदेश पर �सान लियोनार्दो�और �सान इजिदोरों �दो पोट्ट चित्र भी उसने निर्मित किए । उसके काम करने की पद्वति, रंगरेखांकन, चित्रणसंयोजन औरप्रकाशछाया, धुंध या रंगो के फैलाने के तौर तारीके, सबसे बड़ी बात कि अनवरत श्रम एवं साधना से उसकी कार्यचातुरी और हाथ की सफाई चरमद कोटि पर पहुॅच गई ।
१६५८ में म्युरिल्ली के हाथों एक बहुत बड़ा कार्य संपन्न हुआ जिसकी इटलीवासियों ने कभी कल्पना तक न की थी । एक 'पब्लिक एकेडमी ऑफ आर्ट'की उसने स्थापना की और वह उसका अध्यक्ष नियुक्त हुआ । मनारा के आदेश से सान फोर्ज की बुजी के लिये उसने ११ चित्र तैयार किए । इसके अतिरिक्त और भी कितनी ही स्फुट कलाक्तियॉ निर्मित की जिनमें उसकी बहुमुखी प्रतिभा का आभास मिला । इस बुर्जी का काम समाप्त होते ही अपनी पहली कांवेंट के लिये उसे फिर अठारह चित्र बनाने पड़े । अनेक बड़ी बड़ी पोट्रेट पेटिग चित्रित करने में भी उसने सफलता प्राप्त की सेविल की आगस्टस कांवेंट के लिएश् 'दि ग्लोरियस डॉक्टर' के अनेक दृष्टांत चित्रों के लिये उसे काफी परिश्रम करना पड़ा। सेंट कैथराइन का एक बड़ा चित्र बनाते हुए वह ऊपर से गिर पड़ा और उसे गंभीर चोट आई। फिर वह उठ न सका और ३ अप्रैल, १६८२ को उसकी मृत्यु हो गई।
स्पेन मेंश् ही नहीं, वरन् विश्व भर में उसने ख्याति अर्जित की। उसकी कला के विषय दो भागों में विभक्त किए जा सकते हैैं- पहले पौराणिक और धार्मिक चित्र और दूसरे सर्वसामान्य जीवन, जैसे गली में खेलते-कूदते बच्चों आदि के चित्र हैं। उसकी कलाकृतियों के अध्ययन के लिये अब भी लोग सेविल जाते हैं। मेड्रिड की प्राडो म्यूज़ियम में उसके ४५ चित्र और लंदन की नेशनल गैलरी में �पवित्र परिवार� [शचीरानी गूर्टूं]