मौन्व्रात
मल मूत्र का त्याग करते समय, मैथुन, स्नान, भोजन और दातौन
करते समय तथा संध्या आदि कम्र और पूजा करते समय मौन
धारण करने का उपदेश है। मौन को सर्वार्थ साधक कहा है।
जैन मुनियों के संबंध में कहा है कि वे मौन धारण करके
कर्मो का क्षय करते हैं और रूखे सूखे भोजन का सेवन करते
हैं - इन वीर मुनियों को सम्यग्द्दष्टि कहा है। योगों में मौन
को सर्वश्रेष्ठ बताया है।श् [जगदीश
जैन]