मोहिनी चाक्षुष मन्वंतर में हुए नारायणा के त्रयोदश अवतार रूप में प्रकट मोहिनी नामक अति सुंदरी अप्सरा जिन्होंने समुद्रमंथन से प्राप्त अमृत तो देवताओं को पिलाकर अमर कर दिया और असुरों को रूप से मोहित कर उससे वंचित किया था। शिव की प्रार्थना करने पर इसी रूप में भगवान् नारायणा ने उन्हें दर्शन दिया था। जिसे देखकर ये मुग्धतावश उनके पीछे पीछे दौड़ते रहे और उनका वीर्य स्खलन हो गया। (भाग० पु० १-३, १७; तथा ८, ८, ४१ से ४३)।

[चंद्रभान पांडेय]