मोलिब्डेनम (Molybdenum) आवर्त सारणी के छठे संक्रमण समूह (transition group) का तत्व है। इसके सात स्थिर समस्थानिक पाए जाते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या ९२, ९४, ९५, ९६, ९७, ९८ और १०० है। इनके अतिरिक्त द्रव्यमान संख्या ९३, ९९, १०१ और १०५ के अस्थिर समस्थानिक कृत्रिम विधि से निर्मित हुए हैं। इसके अयस्क मोलिब्डेनाइट को बहुत काल तक भूल से ग्रैफाइट समझा गया । सन् १७७८ में शीले ने इस अयस्क से मोलिब्डिक अम्ल बनाया। सन् १७८२ में येल्म (Hyelm) ने मोलिब्डेनम ऑक्साइड का कार्बन द्वारा अपचयन कर मोलिब्डेनम घातु तैयार की।

मोलिब्डेनम स्वतंत्र अवस्था में नहीं मिलता। मोलिब्डेनाइट मोगं (MnS2) एवं बुल्फेनाइट सीमोऔ४ऱ् (PbMoO4) इसके मुख्य अयस्क हैं। संयुक्त राज्य अमरीका इसका मुख्य स्रोत है। चिली, दक्षिणी अमरीका और नार्वे में भी इसके अयस्क प्राप्य हैं।

निर्माण - मोलिब्डेनाइट अयस्क को तेल प्लवन (oil floatation) विधि द्वारा सांद्रित करते हैं। अयस्क को वायु में भून (roast) कर अथवा सोडियम काबर्बोनेट के साथ संगलित कर, मोलिब्डेनम ऑक्साइड मोऔ(MoO3) बनाते हैं। प्राप्त मोलिबडेनम ऑक्साइड का हाइड्रोजन अथवा कार्बन द्वारा अपचयन कर चूर्ण धातु तैयार की जाती है। चूर्ण को दबाकर दंड बनाए जाते हैं। दंडों को हाइड्रोजन के वातावरण में रखकर, इनमें प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर इनका ताप बढ़ता है, जिससे सघन घातवर्ध्य (malleable) गुणवाली धातु बन जाती है।

गुणधर्म - चूर्ण मोलिब्डेनम मटमैले रंग का होता है, परंतु सघन धातु चमकदार श्वेत रंग लिए रहती है। यद्यपि यह कठोर धातु हैं, तथापि इसपर पालिश की जा सकती है।श् इसका संकेत मो (Mo), परमाणु संख्या ४२, परमाणु भार ९५.९४ गलानांक २,६०० सें०, क्वथनांक ४,८००, घनत्व (density) १०.२ ग्राम प्रति घन सेंमी०, परमाणु व्यास २.८ एैग्सट्राम (A) विद्युत् प्रतिरोधकता ५.१७ माइक्रोओह्म सेंमी० तथा आयनन भिव ७.१३ इवों है।

सामान्य ताप पर मोलिब्डेनम पर वायुमंडल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। रक्तपात ताप (red hot temperature) पर इसका शीघ्र ऑकसीकरण होकर ऑक्साइड बन जाता है। फ्लोरीन से साधारण ताप पर तथा क्लोरीन और ब्रोमीन से उच्च ताप पर यह क्रिया करता है। यह तनु नाइट्रिक अम्ल या अम्लराज में शीघ्र घुलता है, परंतु सांद्र हाइड्रोक्लोरिक, हाइड्ररोफ्लोरिक अथा सल्फ्यूरिक अम्ल से शिथिल गति से क्रिया होती है। संगलित क्षार और नाइटेट के मिश्रण में यह शीघ्र घुल जाता है।

यौगिक - श्मोलिब्डेनम के २, ३, ४, ५ और ६ संयोजकता के यौगिक ज्ञात हैं, परंतु ६ संयोजकता के सबसे स्थिर यौगिक बनते हैं। मौलिब्डेनम ट्राइऑक्साइड सबसे स्थिर ऑक्साइड है, जिसके द्वारा अनेक सरल एवं संकीर्ण मोलिब्डिक अम्ल और मोलिब्डेट बनाए गए हैं। उदाहरणार्थ अमोनियम मोलिब्डेट, (ना हा) मोऔश् [(NH4)2MoO4] सरल तथा ३ (ना हा) औ.७मोऔ३. ४हा[3(NH4)2O.7MoO3. 4H2o] जटिल दोनां रूपों में मिलता है। मोलिब्डेनम के दो अन्य ऑक्साइड मौ (Mo2O2), मो औ (MoO2) ज्ञात है। मोलिब्डेनम के दो सल्फाइड, मो गं (MoS3) और मोगं (MoS2) ज्ञात हैं। डाइसल्फाइड प्राकृतिक अवस्था में मैलिध्डेनाइट अयस्क से मिलत है। मोलिबडेनम क्लोरीन के साथ चार यौगिक मो क्लो (MoCl2) मो क्लो(MoCl3), मोक्लो (MoCl4) और मोक्लो (MoCl5) तथा फ्लोरीन के साथ मो फ्लो (MoF6) बनाता है। इनके अतिरिक्त ऑक्सीहैलाइड भी बनाए गए हैं।

भौलिब्डिक अम्ल, हा मोऔ (H2MoO4), अथवा मोलिब्डेट के आम्लिक विलयन को किसी अपचायक पदार्थ द्वारा अपचयित किया जाय, जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, गं औ(SO2), हाइड्रोजन सल्फाइड, हागं (H2S), ग्लूकोज, यशद, हाइड्रोजीन आदि, तो विलयन का रंग गहरा नीला हो जाता है। इसको मोलिब्डेनम ब्ल्यू कहते हैं।

मोलिब्डेनक का यह परीक्षण सुग्राही माना जाता है। ऐसा अनुमान है कि इसमें मोलिब्डेनम की अनेक संयोजकता अवस्था के यौगिक रहते हैं।

उपयोग श्- मोलिब्डेनम का मुख्य उपयोग इस्पात उद्योग में है। तोप, ढाल, मोटी चादों आदि के इस्पात में मोलिब्डेंनम मिला रहता है, क्योंकि इसकी न्यून मात्रा भी इस्पात को शक्ति और कठोरता प्रदान करती है। कुछ अधिक मात्रा में मिलाने पर इस्पात अपनी कठोरता को उच्च ताप पर भी स्थिर रखता है। चुंबक इस्पात और अम्ल प्रतिरोधी मिस्रधातुओं में मोलिब्डेनम का महत्वपूर्ण स्थान है। विशुद्ध मोलिब्डेनम बिजजली के बल्बों के तंतु और रेडियों वाल्वों के आधार में उपयोगी है। टंग्स्टन के साथ थोड़ी मात्रा में मिलाने पर बिजली के अच्छे तापदीप्त तंतु (incandescent filaments) बनते हैं।

मोलिब्डेनम यौगिक, विशेष कर सीस मोलिब्डेट वर्णक के रूप में, काम आता है। इसके अनेक लवण, जैसे अमोनियम मोलिब्डेट, सोडियम मोलिब्डेट आदि, प्रयोगशाला के आवश्यक अभिकर्मक रूप में प्रयुक्त होते है। चमड़े के रँगने, लौह और इस्पात के एनैमल करने और कपड़ा रंगने में मोलिब्डेनम के अनेक यौगिक काम आते हैं। [रमेशचंद्र कपूर]