मोलाराम (१७४०-१८३३) । मई १६५८ में जब दाराशिकोह का पुत्र सुलेमान शिकोह औरंगजेब के भय से भागकर गढ़वाल गया तब उसके साथ सुप्रसिद्ध कवि और चित्रकार मोलाराम के पिता भी आए थे। मोलाराम ने हिंदी पद्य में 'गढ़वाल राजवंश का इतिहास' लिखा था। अपने चित्रों के साथ भी उन्होंने कविताएँ रचीं। वे संतों, नाथों और सिद्धों से बहुत प्रभावित थे। उनके लिखे 'मन्मथ पंथ' ग्रंथ से यही सिद्ध होता है। मोलाराम के सात हस्तलिखित काव्य ग्रंथ उपलब्ध हुए हैं। श्

[गोविंद चातक]