मोर, सर टॉमस टॉमस मोर का जन्म १४७८ में चीपसाइड नामक स्थान में हुआ। उनके पिता सर जॉन मोर एक न्यायाधीश थे। मोर की शिक्षा आक्सफोर्ड तथा लंदन में हुई। ऑमस अपने विषय में पारंगत हो गए और कानून के अध्यापक नियुक्त हुए। इसके बाद वे साहित्य में दिलचस्पी लेने लगे। वे उस युग के महान लेखक तथा हॉलैंड के मानवतावादी विद्वान इरास्मस के संपर्क में आए। चार साल तक वे ध्यान धारण में लगे रहे ओर वह पादरी बनने की बात भी सोचते रहे। १५०३ तक वे पादरी बनने का विचार त्याग चुके थे। वे सार्वजनिक जीवन में प्रविष्ट हुए और संसद् सदस्य बन गए। संसद में प्रस्तुत आर्थिक माँग में कटौती कराने के कारण टॉमस मोर को सार्वजनिक जीवन से अलग होना पड़ा। १५०५ में जेन के साथ इनका विवाह हुआ किंतु १५११ में जेन मर गई। तब ऑमस ने एलिस नामक एक विधवा से विवाह कर लिया जो उनसे सात वर्ष बड़ी थी। अब वह वकालत करने लगे जिसमें उनकी आमदनी दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती गई।
१५१५ में टॉमस मोर एक व्यापारिक कार्य मेंश् फलैंडर्स भेजे गए और इन्हीं दिनों उन्होंने युटोपिया (कहीं नहीं) नामक अपनी पुस्तक का खाका प्रस्तुत किया गया था, जहाँ सबकी शिक्षा होगी, पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता होगी, सामूहिक सुविधाएँ होंगी।
सन् १५२९ में टॉमस इंग्लैंड के चांसलर बन गए। जब राजा हेनरी ने अरागन की कैथराइन से विवाहविच्छेद करना चाहा, तो उन्होंने विवाहविच्छेद के विरूद्ध राय दी और १५३२ में पद त्याग दिया। १५३४ में वे ऐसी शपथ लेने के लिये तैयार नहीं हुए जिससे पोप के प्रति उनका आनुराग्य समाप्त होता। इसपर उन्हें टावर कारागार में डाल दिया गया। २५ जून को फिशर को मृत्युदंड दिया गया। इसके बाद टॉमस मोर पर मुकदमा चला और वह दोषी पाए गए। १५३४ की ७ जुलाई को उन्हें मृत्युदंड दिया गया, जिसे उन्होंने शहीद की भाँति बड़े साहस से ग्रहण किया। सारे यूरोप में इसपर तहलका मच गया और इरास्मस ने उनके विषय में एक लेख लिखा।
सं० ग्रं०- बन हंड्रेड ग्रेट लाइबज- दी होम लायब्रेरी क्लब। [मन्मनाथ गुप्त]