मल्कम, सर जॉन् आप एक कुशल योद्धा, कूटनीतिज्ञ तथा नीतिमान प्रशासक थे। आपका जन्म स्काटलैंड में सन् १७६९ ई. में हुआ। १२ वर्ष की अवस्था से ही आप सेना में प्रविष्ट हुए थे। आपने फरसी भाषा और इतिहास का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया। प्रारंभ में एक फारसी दुभाषिये का कामकर आप मुद्रा के कमांडर-इन-चीफ के सैनिक सचिव बने। सन् १७९८ में आपकों निजाम राज्य स्थित दूत के सहायक का पद मिला। यहाँ आपने फ्रांसीसी सैनिको की सेवामुक्त करने का दुस्तर कार्य संपादित किया। लार्ड बेलेजली ने तब इन्हें अपना राजीतिक सहयाक नियुक्त किया तथा साथ ही निजाम राज्य की अंग्रेजी सेना का प्रधान भी। श्रीरंगपट्टम् के पतन में आपने जनरल हैरिस तथा आर्थर वेलेजला का बड़ा साथ दिया। मैसूर विभाजन में आपने सर टामस मनरो के साथ कार्य कर बड़ी ख्याति पाई। शीघ्र ही राजदूत की हैसियत से आपने दौलत राव सिंधिया के साथ संधि की। आपकी तीन बार फ्रांस भेजा गया, पर वास्तविक सफलता तीसरी बार ही मिली। फ़ारस से लौटकर आपने फ्रांस का इतिहास पूरा किया। आक्सफर्ड विश्वविद्यालय ने आपकों डाक्टर ऑव सिविल लाज़ की उपाधि से सम्मानित किया। लार्ड हेस्टिस्स ने आपको मध्यभारत में शांति स्थापित करने को भेजा। आपने होल्कर को महीदपुर में हराकर विद्रोहो पेशवा से आत्मसमर्पण करवाया। शीघ्र ही आपने पिंडारियों आदि का दमन किया। अपने गुणों के कारण आप बड़े लोकप्रिय हो गए। सन १८२० ई. में आप तीन साल के लिये बंबई के गवर्नर बनाए गए। इस तरह आपने भारत में कुल ४७ वर्ष कार्य किया और स्वदेश लौटने के तीन वर्ष बाद आपकी सन् १८३३ ईसवी में मृत्यु हो गई। [जितेंद्रनाथ वाजपेयी]