मैत्रयी याज्ञवल्क्य की विदुषी तथा ब्रह्मवादिनी कनिष्ठा पत्नी जिजससे इनकी ज्येष्ठा पत्नी कात्यायनी अथवा कल्याणी बड़ी ईर्ष्या रखती थीं। कारण यह था कि अपने गुणों के कारण इसे पति का स्नेह ओक्षाकृत अधिक प्राप्त आत्यात्मिक विषयों पर याज्ञवल्क्य के साथ इनके अनेक संवादों का उल्लेख प्राप्त है। (बृह०उप०ण्, २-४-१-२; ४-५-१-१५)। पति के संन्यास लेने पर इन्होंने पति से अत्यधिक ज्ञान का भाग माँगा और अंत मेंश् से आत्मज्ञान प्राप्त करने के अनंतर, अपनी सारी संपत्ति सौत को देकर यह उनके साथ वन को चली गई। आश्वलायन गृह्यसूत्र के ब्रह्मयज्ञांगतर्पण में मैत्रेयी क नाम सुलभा के साथ आया है। [रामज्ञा द्विवेदी]