मैर्क्फसन, सर जॉन श्आपका जन्म सन् १७४५ ई० में हुआ। आपकी शिक्षा एबरडीन के किंग्स कालेज तथा एडिनवर्ग के विश्व विद्यालय में हुई थी। सन् १७६७ में आप ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी में भारत आए परंतु शीघ्र ही आपको अर्काट के नबाव का प्रतिनिधि बनकर इंग्लैंड जाना पड़ा । सन् १७७० ई० में आप कंपनी के लेखक के रूप में आए। १७७७ में आपको कंपनी की नौकरी से हटा दिया गया, परंतु जब आपने डाइरेक्टरों से अपील की तो आपको पुन: नौकरी मिल गई। सन् १७८१ से १७८५ और पुन: १७८६ से १७८७ ई० में आप बंगाल की सुप्रीम कौंसिल के सदस्य रहे। सन् १७८५-१७८६ ई० में आपने गवर्नर-जनरल का कार्यभार सँभाला। सैनिकों की बकाया तनख्वाह देकर आपने सैनिक विद्रोह रोका। जब महादजी सिंघिया ने सम्राट् की ओर से ४,०००००० पौंड की बकाया रकम माँगी तो आपने युद्ध की धमकी दे उसे शांत किया। पेशवा दरबार में आपने अंग्रेज राजदूत मैलट को भेजा। १७९६ से १८०२ तक आप पार्लमेंट के सदस्य रहे। आप लंबे कद के तथा प्रिय व्यवहारवाले व्यक्ति थे। आप अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। १२ जनवरी, १८२१ ई० को आपकी मृत्यु हो गई । [जितेंद्रनाथ वाजपेयी]