मैकार्टने, जॉर्ज लॉर्ड (१७३७ ई०- १८०६ ई०) मैकार्टने का जन्म आयरलैंड में हुआ। ट्रिनिटी कोज डब्लिन में उसने शिक्षा पाई। १७६४ में उसने रूस से व्यापारिक संधि की जिससे वह फाक्स और बर्क का प्रियपात्र बना। १७६९ से १७७२ तक वह आयरलैंड संबंधी विभाग में मुख्य सचिव रहा। १७७५ से १७७९ तक वह कैरिब्बी द्वीपसमूह का गवर्नर रहा। १७८१ में वह फोर्ट जार्ज का गवर्नर नियुक्त हुआ।
मद्रास पहुंचकर मैकाटने ने सेनापति आयरक्रूट की योजना के विरूद्ध डचों से मद्रास, कालीकट, नेगापटम तथा त्रिन्कोमाली छीन लिया। पोर्टोनोबो में युद्ध के पश्चात् उसने हैदरअली तथा पेशवा से संधिवार्ता चलाई। उसके मतानुसार सेना को सैन्येतर शासन के नियंत्रण में रहना चाहिए। फलत: आयरकूट ने आलोचना करते हुए उसकी आज्ञाओं का उल्लंघन करके वारेन हेस्टिंग्ज से उसकी निंदा की। उसने स्वतंत्र अधिकार की माँग की, अन्यथा पदत्याग की धमकी दी। मैकार्टने की नियुक्ति से सशंक वारेन हेस्टिंग्ज ने मद्रास सरकार तथा सेनापति के मध्य सैद्धांतिक संघर्ष को प्रोत्साहित किया। इससे मद्रास तथा बंगाल की सरकारों में भी मतभेद हो गया।
आयरकूट की मृत्यु के पश्चात् जेनरल स्टूअर्ट ने भी मैकार्टने के मत का तिरस्कार किया। फिर तो मैकार्टने ने कुदलोर के युद्ध में उसपर कुप्रबंध का आरोप लगाते हुए उसे बंदी बनाकर इंग्लैंड भेज दिया तथा टीपू के साथ संधि कर ली, जिसकी कर्नाटक के नवाब ने निंदा की।
कर्नाटक के मामलेश् तथा टीपू के साथ संधि को लेकर मैकार्टने का वारेन हेस्टिंग्ज के साथ मतभेद हो गया। ब्रिटिश सरकार द्वारा वारेन हेस्टिंग्ज के मत का समर्थन होने की सूचना पाकर मैकार्टने ने १७८५ में अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उसी समय उसके अन्य कार्यों से प्रसन्न होकर ब्रिटिश सरकार ने उसे गवर्नर-जनरल के पद परश् नियुक्त करना चाहा दी जिसे उसने अस्वीकार कर दिया। इंग्लैड वापस पहुँचने पर डाइरेक्टरों ने उसे १६०० पौंड मूल्य की पट्टिका भेंट की। १७८६ में स्टूअर्ट के साथ द्वंद्व युद्ध में वह घायल हुआ। १७८८ में वह आयरलैंड की उच्चवर्गीय सभा के सदस्य बना। १७९३ में राजदूत बनकर चीन गया। १७९५ में इटली भेजा गया। १७९७ से १७९८ तक केप ऑव गुड होप के गवर्नन रहा। तदनतर बोर्ड ऑव कंट्रोल का अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव उसने ठुकरा दिया। उसके पत्रों तथा ग्रथों का विशेष ऐतिहासिक महत्व है। [हीरालाल गुप्त]