मैकडॉनल, आर्थर एंथोनी (१८५४-१९३०) आर्थर एंथोनी मैकडॉनल प्रसिद्ध अंग्रेज संस्कृतवेता थे, जिनका जन्म ११ मई, १८५४ को ईग्लैंड के एक सामान्य परिवार में हुआ था। इन्होंने गटिंगन (जर्मनी) तथा कॉपस क्रिश्ची कालेज, ऑक्सफोर्ड में अघ्ययन किया था। ये प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान् सर मोनियर विलियम्स के शिष्य थे। सन् १८८० से १९०० तक मैकडॉनल ऑक्सफोर्ड में जर्मन भाषा के टैलर अध्यापक के रूप में काम करते रहे।
बाद में ये वहीं संस्कृत के उप प्राध्यापक (डिपुटी प्राफेसर) हो गए। सन् १९२२ में ये कलकता विश्वविद्यालय मेंश् 'तुलनात्मक धर्म' (कंपेरेटिव रिलीजन) के 'स्टेफैने स निमंलेंदु घोष' व्याख्याता के रूप में नियुक्त किए गए।
मैकडॉनल का प्रधान क्षेत्र वैदिक साहित्य था, यद्यपि इन्होंने संस्कृत साहित्य की अन्य शाखाओं से संबद्ध लेखादि भी प्रकाशित किए हैं। वैदिक अनुक्रमणी पर इनका कार्य प्रसिद्ध है। इन्होंने सन् १८५६ मेंश् 'सर्वानुक्रणी' तथा षडगुरूशिष्य की टीका सहित 'अनुवाचानुक्रमणी' का वैज्ञानिक संपादन प्रकाशित कराया। सन्श् १९०० में इनकी अन्य कृति 'संस्कृत साहित्य का इतिहास' (ए हिस्ट्री ऑव संस्कृत लिटरेचर) प्रकाशित हुई। इसमें लेखक ने वैदिक संस्कृत तथा शास्त्रीय संस्कृत के साहित्य का सम्यक् परिचय दिया है। १९०४ में इन्होंने, 'वृहद्दवता' का वैज्ञानिक संपादन एवं आंग्ल अनुवाद दो भागों में प्रकाशित कराया। इसके बाद मैकडॉल ने पाणिनीय संस्कृत एवं वैदिक संस्कृत पर अलग अलग व्याकरण लिखे। 'वैदिक ग्रामर' को दो संस्करणों में प्रकाशित कराया गया, एक बृहत् संस्करण, दूसरा विद्यार्थी संस्करण। मैकडॉनल ने ऋ ग्वेद के 'वैदिक सूक्तों का एक संग्रह भी संपादित किया जो वैदिक रीडर' के नाम से प्रसिद्ध है।
[भोलाशंकर व्यास]