मैंसार (मासार) आर्दुआँ (सन् १६४६-१७०८)। राज चित्रकारश् रैफैल आर्दुआँ के घर पैरिस में इस वास्तुशिल्पी का जन्म हुआ। फ्रांस्वा मांसार इसके दूर के रिश्तेदार थे। अपने कला-पथ-दर्शक लिबेरा ब्रांट के साथ मिल जुलकर उसने होटेल दी बेंदोम का निर्माण किया। इससे राजा १४वें लुई का ध्यान इसकी ओर आकर्षित हुआ। उन्होंने इसे मादाम दे मोंतेस्पा के भवन के अभिकल्पन के काम पर नियुक्त किया। राजप्रश्रय से उसका व्यक्तित्व और भी निखरा। इस काल के पूर्व वह सान जर्मेन का निर्माण कर चुका था। उसे बार-बार राजा से संमान और सहायता प्राप्त होती रही। वार्साई के राजप्रासाद का नए नमूने का नक्शा बनाने का कार्य भी उसे राजा की ओर से ही सौंपा गया। अपने कार्य में जब वह खो जाता था तो बहुत आनंदित हो उठता था। उसका काम करने का वेग अत्यधिक था तथा वह दूसरों को भी बातों से प्रभावित कर काम में जुटा देता था। सन् १६५८ में �पेंत रॉयल� की नींव डाली गई और सन् १६८८ मे वह ट्रायनोन के काम में डूबा रहा। वास्तुशिल्प कार्य में उसने कोई ऐसा विभाग नही छोडा जिसमें उसने अपने कौशल की चमक न दिखाई हो। सन् १६९३ में उसने इनवेलाडि के गुंबद का भी कार्य पूरा कर दिया। उसकी सृजनश् शक्ति काफी आश्चर्यजनक थी। उसने विशाल भवनों के साथ इन्हीं वर्षों में कई साधारण भवनों का निर्माण किया। 'ल्युनेविल द' और 'सागोना' के विशाल भवनों का निर्माण भी उसी के हाथ संपन्न हुआ।
[भाऊ समर्थ]