मैंसार (मांसार) फ्रांस्वा श्(सन् १५९८-१६६६) इस फ्रेंच वास्तुशिल्पी का कला के विकास में बड़ा महत्वपूर्ण योग रहा है। राज भवन में काम करनेवाले बढ़ई के परिवार में पैरिस में इसका जन्म हुआ था। राजशिल्पी जर्मेन गौल्थियन ने इसे वास्तुकला की शिक्षा दी। उसने कई चर्चों तथा भवनों का निर्माण अपनी मौलिक शैली के अनुसार किया। भवनों के नित्य नए अभिकल्प (डिजाइन्स) बनाने में उसकी रूचि हमेशा ही रही। उसके द्वारा तैयार किए गए भवनों में जमीन पर मिलती थी। इससे मैंसार के भवन काफी लोकप्रिय रहे। आधुनिक फ्रेंच गेरेट या ऐटिक चेंबर को इसका ही नाम दिया गया है। उसके बनाए भवन तथा उस शैली पर बने भवन फ्रांस में सब तरफ फैले हुए हैं। पैरिस में लूव्र भवन का डिजाइन तैयार करने का कार्य राजनेता कोल्बार ने उसे ही दिया। किंतु उसकी आकृतियों में जिस रद्दोबदल का प्रस्ताव कोल्बार ने रखा, उसे अपमानजनक महसूस कर कँसार ने इस कार्य को छोड़ दिया।श् [भाऊ समर्थ]