मैगनीज़ (Managanese) आवर्त सारणी के सप्तम संक्रमण समूह का प्रथम तत्व है। १९२५ ई० तक इस समूह में केवल यही तत्व ज्ञात था। इसका केवल एक स्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ५५) प्राप्य है। इसके अतिरिक्त चार अन्य अस्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ५१, ५२, ५४ और ५६) भी निर्मित हुए हैं। बहुत काल तक मैंगनीज के अयस्क लौह के अयस्क समझे जाते थे। १७७४ ई० में शीले ने मैंगनीज अयस्क पायरोलुसाइट, मैंऔ (Mn O2), की लौह अयस्क मैगनेटाइट, लौ (Fe3O4), से विभिन्नता स्थापित की। उसी वर्ष गान (Gahn) ने अशुद्ध मैंगनीज धातु भी तैयार की। तत्पश्चात् मैंगनीज लौह से भिन्न धातु माना गया। मैंगनीज नाम लैटिन के मैगनीज (magnes) शब्द पर आधारित है।

मैंगनीज प्रकृति में प्रत्यंत वितरित है और लौह, कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के कार्बानेट और सिलिकेट के साथ सदैव कुछ मात्रा में मिलता है। पायरोलुसाइट इसका मुख्य अयस्क है। यह अयस्क प्राचीन काल से काँच उद्योग में काम आता है, क्योंकि इसके द्वारा काच का हल्का हरा रंग (लौह अपद्रव्य के कारण) दूर करते हैं। पायरीलुसाइट का मुख्य स्रोत भारत है। इसके अतिरिक्त यह सोवियत संघ, दक्षिण अफ्रीका, घाना और ब्राज़ील में विशेषकर पाया जाता है।

निर्माण-मैंगनीज़ धातु को अनेक अपचयन क्रियाओं द्वारा तैयार करते है। मैंगनीज़ डाइ ऑक्साइड को कार्बन द्वारा अपयचित कर धातु तैयार कर सकते हैं। कार्बन के स्थान पर ऐल्युमिनियम का उपयोग करने से विशुद्ध धातु प्राप्त होती है। अधिकांश विधियों में विशुद्ध धातु के स्थान पर मैंगनीज़ लौह की मिश्रधातु बनाई जाती हैं, क्योंकि इस मिश्रधातु को सीधे इस्पात तथा अन्य धातु उद्योगों में काम में ला सकते हैं। मैंगनीज तथा लौह के ऑक्साइड मिश्रण का कार्बन क्षरा अपचयन करने से मिश्रधातु प्राप्त हो जाती है।

गुणधर्म-विशुद्ध मैंगनीज़ हलकी लालिमा लिए श्वेत रंग की धातु है। यह लौह से कुछ नर्म है, परंतु कार्बन की सूक्ष्म मात्रा से मिलकर अत्यंत कठोर हो जाता है। इसके कुछ गुणधर्म निम्नांकित हैं-

संकेत में (M), परमाणु संख्या २५, परमाणु भार ५४.९४, गलनांक १२४५ सें०, क्वथनांक २१५० सें०, घनत्व ७.२ ग्राम प्रति घन सेंटीमी., परमाणु व्यास २.५ एंग्स्ट्रान (A), विद्युत् प्रतिरोधकता १८५ माइक्रोओम सेंमी० तथा आयनीकरण विभव ७.४३ इवों।

मैंगनीज़ वायु में मलीन हो जाता है। सक्रिय तत्व है और जल का मंद गति से विच्छेदन कर हाइड्रोजन मुक्त करता है। अम्ल विलयनों से इसकी शीघ्र क्रिया द्वारा मैंगनस लवण (Mn++ salts) बनते हैं और हाइड्रोजन गैस स्वतंत्र होती है। अधिकतर अधातुएँ मैंगनीज़ से क्रिया कर यौगिक बनाती हैं, जैसे मैंगनीज़ सल्फाइड, मैं गं (MnS), मैगनीज क्लोराइड, म्मैंक्लो (MnCl2), मैंगनीज कार्बाइड मैंका (Mn3C), मैंगनीज़ सिलिकाइड मैंसि (MnSi) और मैंसि (Mn2Si), मैंगनीज नाइट्राइड मैंना (Mn5N3) आदि।

यौगिक-मैंगनीज़ के २ से ७ तक की संयोजकता के यौगिक ज्ञात हैं। २ संयोजकता के यौगिकों को मैंगनस (maganous) कहते हैं। मैंगनस ऑक्साइड मैंऔ (Mn O) के व्युत्पन्न हैं। मैंगनस ऑक्साइड उच्च ऑक्साइडों के हाइड्रोजन द्वारा अपचयन से प्राप्त हो सकता है। मैंगनस हाइड्रॉक्साइड मैं (औ हा) (Mn (OH)2) और कापर्बोनेट मैं का औ (Mn Co3) जल में अवक्षेप बनाते हैं, परंतु अमोनियम लवण में विलेय हैं। इनका वायु में ऑक्सीकरण हो जाता है। मैंगनीज़ क्लोराइड मैंक्लो (MnCl2), मैंगनीज ब्रोमाइड में ब्रो (Mn Br2), मैंगनीज आयोडाइड में आ (Mn l2), मैंगनीज सल्फेट मैगंऔ (Mn4SO4) और मैंगनीज नाइटेट में (ना औ)(Mn (MO3)) विलेय लवण हैं, जो हलके गुलाबी रंग के विलयन बनाते हैं और इनका ऑक्सीकरण नहीं होता है। मैगनस लवण सक्रिय अपचायक नहीं हैं।

मैंगनिक यौगिक मैंगनिक ऑक्साइड, मैं (Mn2O2), (३ संयोजकता) के व्युत्पन्न हैं। मैगनिक आयन मैं +++ (Mn +++) का विलयन अस्थिर होता है। बहुधा यह जल में संकीर्ण रूप में रहता हैं, जैसे मैंगनिक क्लोराइड मैक्लो (In Cl5--)। मैंगनिक सल्फेट मैं (गं औ) (Mn2SO4)) एक अस्थिर हरे रंग का लवण है, जो जल में बैंगनी रंग का विलयन बनाता हैं। पोटैशियम सल्फेट के कारण यह पोटैशियम मैंगनीज़ ऐलम, (पो मैंगंऔ) १२ हाऔर (K Mn (SO4) १२ H2O) बनाता है।

मैंगनीज़ डाइऑक्साइड, मैं औ (Mn O2), (४ संयोजकता सबसे महत्वपूर्ण यौगिक हैं। यह पायरोलुसाइट अयस्क में पाया जाता है। इसके व्युत्पन्न कुछ लवण ज्ञात हैं, परंतु वे अत्यंत अथिर गुण के हैं। उनके संकीर्ण लवण कुछ अधिक स्थिर होते हैं, जैसे पो मैं फ्लो (K2 Mn F6) आदि।

मैंगनीज़ का ५ संयोजकता का एक अत्यंत अस्थिर योगिक बनाया गया है। यह केवल विलयित अवस्था में ज्ञात हैं और नीले रंग का हैं।

मैंगनीज़ का ५ संयोजकता के यौगिक मैंगनेट कहलाते हैंद्य यह मैंगनिक अम्ल हा मैं आैं (H2Mn O4) के व्युत्पन्न हैं। यदि मैंगनीज़ डाइआक्साइड को वायु में क्षार के साथ संगलित किया जाय तो मैंगनेट का निर्माण होगा।

२ मैं औ + 4 पो और हा + = २ पो२ मैं औ ४ + २ हा औ (2 Mn O2 + 4 KO H+O2 = 2 K2 Mn O4 + 2 H2 O)

मैंगनिक अम्ल, हा मैं औ (H2 Mn O4), अत्यंत अस्थिर पदार्थ है और शीघ्र विघटित हो जाता है। मैंगनेट हरे रंग के पदार्थ हैं और इनमें आक्सीकरण का गुण प्रधान है। यदि इन्हें तनु विलयित अवस्था में रखा जाय, तो ये परमैंगनेट ओर मैगनीज़ डाइआक्साइड में परिणत हो जाते हैं।

३ पो मैं औ + २ हा= २ पो मैं औ + ४ पोऔहा

(3 K2 Mn O4 + 2H2O = 2 K Mn O4 + Mn O2+ 4KOH)

डाइ मैंगनीज़ हैप्टाआक्साइड, मैं (Mn2 O7) अत्यंत अस्थिर पदार्थ है और शीघ्र विस्फोट द्वारा विघटित हो जाता है। परमैंगनिक अम्ल, हा मैं औ (H Mn O4), और परमैंगनेट मैंगनीज के ७ संयोजकता के यौगिक हैं। परमैंगनिक अम्ल केवल जल विलयित अवस्था में ही ज्ञात हैं।

परमैंगनेट अम्ल या लवण के विलयन का रंग गहरा बैंगनी होता है। पोटैशियम परमैंगनेट अत्यंत उपयोगी लवण है और पोटेशियम मैंगनेट के लवण के विलयन में क्लोरीन गैस प्रवाहित करने से बन जाता है। यह वैश्लेश्ज्ञिक रसायन में अनेक प्रक्रियाओं में काम आता है, जैसे फेरस (लो ++(Fe++) आक्सैलिक अम्ल ( का हा (C2H2O2) आदि के निश्चयन में।

उपयोग- अस्पात उद्योग में मैंगनीज का बहुत महत्व है। इस्पात से ऑकसीजन तथा सल्फेट की अशुद्धियाँ दूर करने के लिये यह अति आवश्यक है। मैंगनीज़ मिश्रित इस्पात अत्यंत कठोर ओर संक्षारण (corrosion) प्रतिरोधी होते हैं। इसका रेल की लाइन, बड़ी मशीनें, तिजोरियाँ, जलयानों के नोदक (propellers) आदि बनाने में बहुत उपयोग होता है।

मैंगनीज़ डाइऑक्साइड सूखे सेलों (cell) में काम आता है। मैंगनीज के यौगिक, विशेषकर पोटेशियम परमेंगनेट (पो मैं ओ (K Mn O4) कमिनाशक ओषधि रूप में तथा रासायनिक प्रयोगों में काम आता है। [रमेशचंद्र कपूर]