मयो, लार्ड रिचर्ड साऊथवेल बोर्क, मेयो के छठे अर्ल का जन्म डबलिन में २१ फरवरी सन् १८२२ को हुआ था। सन् १८५२ में इनकी नियुक्ति आयरलैंड के प्रधान सचिव के पद पर हुई। इसी पद पर वे दो बार और सन् १८५८ और सन् १८६६ में आसीन रहे। १२ जनवरी, सन् १८६९ को लार्ड मेयो ने कलकत्ते में भारत के वाइसराय व गवर्नर जेनरल के पद की शपथ ली।
उस समय सोवयत रूस मध्य एशिया में अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ा रहा था। इसलिये भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित देशों के प्रति मेयो ने मित्रतापूर्ण नीति अपनाई। अफगानिस्तान के अमीर शेरअली को अंबाला में आमंत्रित किया ओर २७ मार्च, सन् १९६९ को वहीं दरबार किया। शेरअली अंग्रेजों का मित्र हो गया। लार्ड मेयो ने अफगानिस्तान और ईरान के बीच सीस्तान को लेकर हो रहे झगड़े का भी दोनों देशों के बीच सीमा निर्धारण कर अंत कर दिया। मेकरान की समस्या को लेकर ईरान और बिलोचिस्तान के बीच हो रह झगड़े का भी उन्होंने सीमा निर्धारण कर अंत कर दिया। इसका परिणम यह हुआ कि सोवियत रूस को इन राज्यों की सीमा समस्याओं का बहाना लेकर हस्तक्षेप करने का अवसर नहीं मिला और ये दोनों राज्य अंग्रेजी सरकार के मित्र हो गए।
लार्ड मेयो ने विकेंद्रियकरण की नीति अपनाई। इस नीति से सिंचाई, रेल, यातायात तथा अन्य सार्वजनिक कार्यो में बड़ी सहायता मिली। ८ फरवरी, सन् १८७२ को अंडमन द्वीप में शेरअली नामक एक बंदी ने लार्ड मेयो की हत्या कर दी। [कृष्णस्वरूप श्रीवास्तव]