मेनका वृषणश्र (ऋ० १-५१-१३) अथवा कश्यप और प्राधा (महा० आदि०, ६८-६७) की पुत्री, स्वर्गलोक की छह सर्वश्रेष्ठ अप्सराओं में से एक, ऊर्णयु नामक गंधर्व की पत्नी थी। अर्जुन के जन्म समारोह तथा स्वागत में इसने नृत्य किया था। अपूर्व सुंदरी होने से पृषत् इस पर मोहित गया जिससे द्रुपद नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। इंद्र ने विश्वामित्र को तप भ्रष्ट करने के लिये इसे भेजा था जिसमे यह सफल हुई और इसने एक कन्या को जन्म दिया। उसे यह मालिनी तट पर छोड़कर स्वर्ग चली गई। शकुन पक्षियों द्वारा रक्षित एवं पालित होने के कारण महर्षि कणव ने उस कन्या को शकुंतला नाम दिया जो कालांतर में दुष्यंत की पत्नी और भरत की माता बनी। [रामज्ञा द्विवेदी]