मेधातिथि मनुस्मृति पर एक विशद टीका के लेखक। अपने ग्रंथ में ये कुमारिल का उल्लेख करते हैं अत: सातवीं शताब्दी क बाद इनको होना चाहिए। मनुस्मृति पर लिखी मिताक्षरा (१०७६ से ११२१) में इनका उल्लेख है। अत: डॉ० गंगानाथ झा के अनुसार नवीं शताब्दी इनका काल ठहरता है। डॉ० बुहलर इनको कश्मीर का तथा जॉली दक्षिण का मानते हैं। केवल इतना ही इनके ग्रंथ के आधार पर स्वीकार किया जा सकता है कि ये कश्मीर की बोली तथा कश्मीर और पंजाब के रीति रिवाजों से पूर्णत: परिचित थे। इनका एक अन्य ग्रंथ स्मृति विवेक भी था।
सं० ग्रं०-----डॉ० गंगानाथ झा: मनुस्मृति। [रामचंद्र पांडेय]