मेथेन संतृप्त हाइड्रोकार्बन श्रेणी का सरलतम सदस्य है। इसका अणु सूत्र, काहा(CH4) है। यह वर्णरहित, गंधरहित तथा स्वादरहित गैस है। इसका क्वथनांक-१६१.६ सें० और गलनांक-१८२.६सें०, क्रांतिक ताप-८२.१५ सें० और गैस का मानक ताप और दाब पर घनत्व ०.७१७ ग्राम प्रति घन सेंमी० है। इसका प्रमुख स्रोत प्राकृतिक गैस है, जो तेल कूपों से निकलती है। कोयला आसवन के उत्पादों और वानस्पतिक पदार्थो के वानस्पतिक किण्वन से निकली गैसों में भी यह पाया जाता है। दलदली भूमि से निकली गैस में उपस्थित होने के कारण इसे मार्श, या पंक गैस भी कहते हैं। कोयले की खदानों से निकलने के कारण इसे फायर डैंप कहते हैं। इसके कारण खदानों में विस्फोट हो सकता है। निम्न ताप पर कोयले के आसवन से जो गैसें प्राप्त होती हैं उनमें लगभग ५० प्रतिशत तक मेथेन रह सकता है। कोयला गैस निर्माण में कोयला कार्बनीकरण से प्राप्त गैसों में इसकी मात्रा २५ से ३५ प्रतिशत तक रहती है।

मेथेन का ऊष्मीय मान बहुत ऊँचा, पेट्रोल के ऊष्मीय मान के दुगुने से भी, ऊँचा है। अत: यह एक बहुमूल्य ईधंन है। कम ऊष्मीय मान गैसों के ऊष्मीय मान बढ़ाने के लिये इसका उपयोग होता है। बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन प्राप्त करने का यह उत्कृष्ट स्रोत है। अनेक उद्योगों में इस विधि से हाइड्रोजन तैयार होता है। वायु के साथ यह विस्फोटक मिश्रण बनता है। इससे अनेक रसायनक, विशेषत: मेथेनोल और अन्य ऐल्कोहॉल तैयार होते हैं। इसके जलने से जो कज्जल प्राप्त होता है वह उतकृष्ट कोटि का और अनेक उद्योगों, रबर तथा मुद्रण स्याही के निर्माण में प्रचुर मात्रा में व्यवहृत होता है। अंतर्दहन इंजन में ईधंन के रूप में इसके उपयोग का प्रयास हुआ है।

रसायनत: यह निष्क्रिय गैस है। केवल क्लोरीन के साथ क्रियाशील होकर क्लोरीन के यौगिक, मेथिल क्लोराइड, मेथिलीन क्लाराइड, क्लोरोफार्म और कार्बन टेट्राक्लोराइड बनते हैं। इसके पूर्ण रूप से जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनते हैं। (रामचंद्र हरि सह'ाबुद्धे)