मेटकाफ, सर चार्ल्स इनका जन्म कलकत्ते में सेना के एक मेजर के घर सन् १७८५ ईसवीं में हुआ। प्रारंभ से ह आपका अनेक भाषाओं की ओर रुझान रहा। १५ वर्ष कीश् उम्र में आप कंपनी की नौकरी में एक क्लार्क के रूप में प्रविष्ट हुए। शीघ्र ही गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली की, जिसे योग्य व्यक्तियों को पहचानने की अपूर्व क्षमता थी, निगाह आपपर पड़ी और आपने महाज सिंधिया के दरबार में स्थित रेजीडेंट के सहायक के पद से अपना कार्य प्रारंभ कर, अनेक पदों को सुशोभित किया। सन् १८०८ में आपने अंग्रेजी राजदूत की हैसियत से सिक्ख महाराजा रणजीत सिंह को अपनी विस्तार नीति को सीमित करने पर बाध्य कर दिया तथा सन् १८०९ ई० की अमृतसर की मैत्रीपूर्ण संधि का महाराज रणजीत सिंह ने यावज्जीवन पालन किया। गर्वनर जारल लार्ड हेंसटिंग्ज ने आपके द्वारा ही विद्रोही खूखाँर पठान सरदार अमीर खान तथा अंग्रेजों के बीच संधि कराई। भरतपूर के सुदृढ़ किले को भी नष्ट करने में आपका योगदान था। सन् १८२७ में आपको नाइट पदवी से विभूषित किया गया। जब आगरे का नया प्रांत बना तो आपको ही उसका प्रथम गवर्नर मनोनीत किया गया। थोड़े ही दिनों में आपको अस्थायी गवर्नर जनरल बनाया गया। आपके इस कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण कार्य भारतीय प्रेस को स्वतंत्र बनाना था। सन् १८३८ ईसवीं में आप स्वदेश लौट गए। तदुपरांत आपने जमायका के गवर्नर का तथा कनाडाश् के गर्वनर-जनरल का पदभार संभाला। अंत में १८४६ में कैंसर के भीषण रोग से आपकी मृत्यु हो गईश् [जितेंद्रनाथ वाजपेयी]