मेडेलीफ़, डेमीत्रि इवानोविच (Mendeleev Dmitrv Ivanovich) तत्वों के आवर्त वर्गीकरण के प्रसिद्ध प्रतिपादक रूसी रसायनज्ञ थे। मेंडेलीफ़ का जन्म १८३४ ई० में साइबीरिया प्रदेश के टोबोल्स्क नगर में हुआ था। इसी टोबोल्स्क जिमनाजियम (विद्यालय) में मेंडेलीफ का प्रारंभिक शिक्षण हुआ और फिर ये पीटर्सबर्ग के पेडागॉजिकल इंस्टिट्यूट में भरती हुए। १८५७ ई० में मेंडेलीफ़ पीटर्सबर्ग से स्नातक परीक्षा में उतीर्ण हुए और इन्हें एक स्वर्णपदक मिला। इसके बाद दो वर्ष इन्होंने सिमफरोपोल और फिर ओडेसा के जिमनाज़ियमों में अध्यापन कार्य किया। १८५९ ई० में इन्होंने मास्टर ऑव् साइंस की उपाधि के लिये 'विशिष्ट आयतन' विषयक निबंध लिखा। इसके बाद ये दो वर्ष के लिये एक वैज्ञानिक कमिशन के साथ विदेश यात्रा के लिये निकले और १८६० ई० में इन्होंने एर्ल्सरूका में होने वाले 'विश्व रसायन संमेलन' में भाग लिया। यात्रा से लौटने पर इन्हें पीटर्सबर्ग टेकनोलौजिकल इंस्ट्टियूट में प्रोफेसर का पद मिला और दो वर्ष बाद ये पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय में रसायन के प्रोफेसर हो गए। यहाँ रहकर इन्होंने २३ वर्ष वैज्ञानिक कार्य और अध्यापन किया। १८९३ ई० में मेंडेलीफ़ की नियूक्ति 'ब्यूरों ऑव् वेट्स ऐंड मेज्हर्स' (तौल माप संस्थान) के निदेशक पद पर हो गई। इस अवधि में भी इन्होंने वैज्ञानिक और साहित्यिक कार्य बराबर किए। १९०७ ई० में मेंडेलीफ़ की मृत्यु न्यूमोनिया रोग में हो गई।

मेंडेलीफ़ का अमर कार्य तत्वों आवर्त नियम और आवर्त सारणी संबंधी है। तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण परमाणु भारों के आवर्त फलन हैं। यह नियम लगभग एक ही समय जर्मनी में लोथर मेयर (Lothar Meyer,1830-1895) और रूस में मेंडेलीफ़ ने प्रतिपादित किया। मेंडेलीफ़ ने तत्वों की जो आवर्त सारणी प्रस्तुत की, उसमें अब काफी सुधार हो गए हैं, पर यह सारणी आज तक रसायन विज्ञान का पथ प्रदर्शन कर रही हैं। इस आवर्त सारणी के आधार पर मेंडेंलीफ़ ने कुछ ऐसे तत्वों के अस्तित्व की घोषणा की थी, जिनका उसके समय में पता न था, और बाद को जब ये तत्व खोज निकाले गए तो इनके गुण वही मिले जिनकी भविष्यवाणी ने पहले ही कर रखी थी।

मेंडलीफ़ के अन्य गवेषण कार्य ये हैं- आपेक्षिक घनत्व द्वारा विलयनों का अध्ययन, ऐलकोहाल और पानी का संयोग (डॉक्टर की उपाधि के लिये), विलयन और साहचर्य (association), विलयनों के संबंध में हाइड्रेट सिद्धांत, चरम ताप (जिसे उसने ऐब्सोल्यूट क्वथनांक कहा) की कल्पना की। मेंडलीफ़ ने 'रसायन सिद्धांत नाम से' एक पुस्तक १९०५ ई० में लिखी, जिसके अनुवाद सभी प्रमुख भाषाओं में किए गए। उसने भूगर्भ विज्ञान, भूभौतिकी आदि पर भी कार्य किया। इन्होंने अपने देश को उद्योग तथा रसायन संबंधी अनेक बातों पर अमूल्य सुझाव दिए।