मृत्तिका या चीनी मिट्टी निसर्ग भूमि के तीन प्रमुख अवयव हैं, रेत, सिल्ट और मिट्टी। इनके कणों के आकार में तो अंतर है ही, इनके रासायनिक तथा भौतिक गुण भी भिन्न हैं।

रेत साधारणतया सिलिका और स्फटिक की बनी होती है। सिलिका और स्फटिक निष्क्रिय होते हैं। रेत का आकार ०.०६ मिमी० से २ मिमी० तक होता है। रेत के कणों में संसंजन (cohesion) और केशिकात्व (capilarity) नहीं होता, किंतु पारगम्यता (permeability) अधिक होती है।

सिल्ट के घटक सिलिका और स्फटिक ही हैं, किंतु इसके कणों का आकार ०.०००२ मिमी० से ०.०६ मिमी० तक होता है। सिल्ट के कणों में संसंजन नहीं होता, लेकिन केशिकात्व काफी होता है।

मिट्टी के कणों का आकार ०.००२ मिमी० से कम होता है। रेत और सिल्ट से इसकी असमानता यह है कि मिट्टी के कण रसायनत: आविष्ट (chemically charged) होने के कारण रसायनकोें स अभिक्रिया करते हैं।

मिट्टी की अधिकता से भूमि में केशिकात्व तथा संसंजन आता है। ऐसी भूमि गीली होने पर फूलती है तथा सूखने पर सिकुड़ती है।

मिट्टी के इन स्पष्ट भौतिक गुणों का कारण उसमें कोलायडीय कणों की उच्च प्रतिशतता है, जिससे हाइड्रोजन, सोडियम, कैल्सियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि के अयन पृष्ठ से अधिशोषित (adsorbed) होते हैं। ये अयन विनिमेय हैं, अर्थात् विलयन (solution) में ये दूसरे अयनों से प्रतिस्थापनीय (replaceable) हैं।

इन अयनों को अधिशोषित करने की उच्चतम क्षमता को क्षार की विनिमय धारिता (base exchange capacity) कहते हैं। अयनों की क्षारक (specific surface area) भी उतना ही अधिक होगा। मिट्टी के गुण पृष्ठ पर अधिशोषाि धनायन (cation) पर निर्भर करते हैं।

मिट्टी की संरचना-----भिन्न भिन्न मिट्टीयों के रासायनिक अवयव एक ही हैं, अर्थात् मात्रा में मैऔ (MgO), कै औ (CaO), पोऔ (K2O), सोऔ (Na2O) के साथ सिऔ (SiO2), ऐ औ (Al2O3), लो (Fe2O3) तथा जल, किंतु भिन्न्न मिट्टियों में खनिज यौगिक भिन्न होते हैं। अनेक वैज्ञानिकों के एक्स किरण तथाश् सजातीयश् शैल विश्लेषण अनेक वैज्ञानिकों के एक्स किरण तथा सजातीय शैल विश्लेषण (petrographic) संबंधी प्रयोगों के फलस्वरूप मिट्टी खनिज के दो समूह निश्चित हुए हें। वर्गीकरण का आधार क्रिस्टल जालक (crystal lattice) की बनावट है।

केओलिन समूह----इस समूह के खनिज सिलिका और ऐल्यूमिना के एक एक चादरों से बने होते हैं।श्

मांट मारिलोनाइट समूह-----इस समूह के खनिज के क्रिस्टल जालक दो इकाई सिलिका चादर और एक इकाई ऐल्यूमिना चादर से बने होते हैं।

क्रिस्टल जालक संरचना की भिन्नता के फलस्वरूप इन दो समूहों की मिट्टियों के रासायनिक तथा भौतिक गुणों में महान् अंतर होता है।

केओलिन खनिज की क्षार विनियम धारिता निम्न और उसका अधिशोषण गुण भी कम होता है, जब कि मांटमारिलोनाइट खनिज का धनायन-अधिशोषण होता है।

भारत के मिट्टी समूहों में प्रधान कपास की काली मिट्टी, जो प्राय: समस्त मध्य तथा दक्षिण भारत में छाई हुई है, मांटमारिलोनाइट समूह की है। इसका मुख्य गुण सिकुड़ना तथा फैलना है, जो भवन तथा सड़क निर्माण की समस्या है। इधर की खोज से सिद्ध हुआ है कि मोटे चूने (fat lime) से अभिक्रिया कराने पर मिट्टी का फूलना बहुत कुछ कम हो जाता हैं।

सं० ग्रं०----- राल्फ ई० ग्रि०: क्ले मिनरैलॉजी, मैक ग्रॉ हिल बुक कंपनी,१९५३; एल० डी० बेवर: सॉयल फिजिक्स, जॉन विले ऐंड संस, आई., न्यूयार्क, १९५६; जी० डी० रॉबिन्सन: सॉयल्स, टॉमस मर्बी ऐंड कंपनी, लंदन १९५१।

[हरमंदर लाल उप्पल]

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