मुहम्मद ग़्साौ ग्वालियरी शत्तारी सिलसिले के सुप्रसिद्ध सूफ़ी का जन्म १५०० ई० में हुआ। अपने जीवन के प्रारंभ में उन्होंने चुनार के जंगलों में घोर तपस्या की। उनके भाई शेख फूल का हुमायूँ बादशाह बड़ा भक्त था। हुमायूँ के भारत चले जाने के उपरांत मुहम्मद ग़्साौ ने गुजरात में रहना प्रारंभ कर दिया। वहाँ के सुल्तानों, शाहजादों एवं गणमान्य व्यक्तियों ने उनका बड़ा आदर संमान किया। गुजरात के प्रसिद्ध सूफी, शेख वजीहुद्दीन उनके शिष्य हो गए। अकबर के शासनकाल के प्रारंभ में वे आगरा पहुँचे किंतु उनके इच्छानुसार उनका आदर सत्कार न हुआ औरश् वे ग्वालियर चले गए। वहीं १५६२-६३ ई० में उनकी मृत्यु हो गई। योग विषयक अमृतकुंड नामक संस्कृत ग्रंथ का उन्होंने फारसी अनुवाद 'बहरुल हयात' के नाम से किया। उन्होंने जवाहरे ख़म्सा, कलीदे मखाजिन तथा मेराजनामा नामक ग्रंथों की भी रचना की।
सं० ग्रं०- गौसी शत्तारी : गुलजारे अब्रार (ह० लि०, अलीगढ़ विश्वविद्यालय, फारसी)। [सैयद अतहर अब्बास रिजवी]