मुसोलिनि, बेनितो इनका जीवन अवसरवाद, आवारापन और प्रतिभा के मिश्रण से बना कहा गया है। इनका जन्म १८८३ की २९ जुलाई को इटली के प्रिदाप्यो नामक गाँव में हुआ था। अठारह वर्ष की अवस्था में ये एक पाठशाला में अध्यापक बने। १९ साल की उम्र में बेनितो भागकर स्विटजरलैंड चले गए। वहाँ वे मजदूरी करते और साथ ही रात को समाजवादियों से मिलते जुलते और समाजवाद का अध्ययन करते। वहाँ से लौटकर कुछ समय तक सेना में कार्य किया। तदुपरांत घर लौटकर उन्होंने समाजवादी आंदोलन में भाग लेना जारी रखा और साथ ही वे पत्रकारिता में लग गए। १९१२ तक वे समाजवादी दल के मुखपत्र 'आवांति' के संपादक बन गए।

१९१४ में प्रथम महायुद्ध छिड़ने के साथ मुसोलिनि ने समाजवादियों की तरह यह मानने से इनकार किया कि इटली को निष्पक्ष रहना चाहिए। वे चाहते थे कि इटली ब्रिटेन और फ्रांस के पक्ष में लड़ाई में उतरे। इस कारण उन्हें 'आवांति' के संपादक पद से अलग होना पड़ा और वे दल से निकाल दिए गए।

१९१९ के २३ मार्च को मुसोलिनि ने अपने ढंग से राजनीति में एक नए संगठन को जन्म दिया। इस दल का नाम था फासी-दि-कंबात्तिमेंती। इसमें उन्होंने उन्हीं लोगों को लिया जो १९१४ में उनके विचार के थे। इसमें मुख्यत: भूतपूर्व सैनिक आए। देश इस प्रकार के कार्यक्रम के लिए तैयार था क्योंकि समाजवादी कमजोर थे, भूतपूर्व सैनिकों में बेकारी फैल गई थी, भ्रष्टाचार बढ़ गया था, राष्ट्रीयता का जोर हो रहा था और लोगों में अंतरराष्ट्रीय समाजवाद के प्रति अनास्था उत्पन्न हो गई थी। मुसोलिनि धीरे धीरे शक्तिशाली होते गए और एक चतुर अवसरवादी होने के कारण सभी अवसरों से वे लाभ उठाते रहे, यहाँ तक कि फासिस्टों ने रोम पर ३० अक्टूबर, १९२२ को कब्जा कर लिया। सरकारी सेना के तटस्थ हो जाने से यह संभव हुआ।

मुसोलिनि ने १९३५ में अबीसीनिया पर हमला किया और कहा जा सकता है कि यहीं से द्वितीय महायुद्ध का प्रारंभ हुआ। अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में हिटलर और मुसोलिनि का गठबंधन हो चुका था और जब द्वितीय महायुद्ध छिड़ा तो हिटलर और मुसोलिनि यूरोप में एक तरफ थे और दूसरी तरफ ब्रिटेन तथा फ्रांस। क्रमश: इसमें और भी शक्तियाँ आती गईं। पहले हिटलर की विजय हुई, फिर फासिस्टों की पराजय शुरू हुई।

पराजयों के कारण २५ जुलाई, १९४३ तक ऐसी स्थिति हो गई कि मुसोलिनि को प्रधान मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और वे हिरासत में ले लिए गए। पर सितंबर में ही हिटलर ने उन्हें छुड़ाया और वे उत्तर इटली में एक कठपुतली राज्य के प्रधान के रूप में स्थापित किए गए।

इसके बाद भी फासिस्ट हारते ही चले गए और २६ अप्रैल, १९४५ को मित्र सेनाएँ इटली पहुँच गईं। देश के गुप्त प्रतिरोधकारियों ने इनका साथ दिया। उसी दिन मुसोलिनि स्विट्जरलैंड भागने की चेष्टा करते हुए प्रतिरोधकारियों द्वारा पकड़ लिए गए और २८ अप्रैल, १९४५ को उन्हें मृत्युदंड दिया गया।

सं० ग्रं० - १. जान गुन्थर : इनसाइड यूरोप, २. ऐनसाक्लोपीडिया ब्रिटैनिका।श्श् [मन्मनाथ गुप्त]