मीर मदन यह बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेना का एक वीर सेनापति था। सन् १७५७ में जब अंग्रेजों का प्लासी के मैदान में नवाब सिराजुद्दौला से युद्ध हुआ उस समय नवाब के सेनापतियों ने उसे धोखा दे दिया। एक फ्रांसीसी सैनिक अफ़सर सेंट फ्राई तथा मोहनलाल के साथ केवल मीर मदन ही निष्कपट भाव से रणक्षेत्र में डटा रहा और बड़ी वीरता से लड़ा। मीर मदन तथा मोहनलाल की सैनिक टुकड़ियाँ अंग्रेजों के छक्के छुड़ा रही थीं। इसी समय दुर्भाग्यवश एक गोली लगने से मीर मदन की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु से नवाब बौखला गया। वह इतना हताश हो गया कि उसने कपटी मीर जाफर की सलाह मान ली और उसका स्वयं अंत हो गया। [मिथिलेशचंद्र पांड्या]