मिलिकैन, रॉबर्ट एंड्रूज (Millikan, Robert Andrews, १८६८-१९५३ ई०) अमरीकी भौतिक विज्ञानी थे। इनका जन्म २२ मार्च, सन १८६८ को इलिनॉय में हुआ था। इन्होंने ऑबेलिंन कालेज में उच्च शिक्षा प्राप्त की और १८९१ से १८९३ ई० तक ये इसी कालेज में भौतिकी के अध्यापक रहे। १८९३ ई० में कोलंबिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। १८९६ से १९१० ई० तक सहायक प्रोफेसर तथा १९१० ई० में प्रोफेसर के पद पर आपने शिकागो विश्वविद्यालय में कार्य किया। १९२० ई० ये कैलिफॉर्निया इंस्टिटयूट ऑव टेक्नॉलोजी में नार्मन ब्रिज भौतिकी प्रयोगशाला में निदेशक के पद पर नियुक्त हुए। सन् १९४५ में इन्होंने इस पद से अवकाश ग्रहण किया।
इलेक्ट्रॉन के विद्युदावेश का सही मान प्राप्त करने के लिये मिलिकेन ने तैलबूँद (oil drop) का प्रयोग १९०६ ई० में प्रारंभ किया और इसका सिलसिला १० वर्षो तक चला। इन प्रयोगों के फलस्वरूप इन्होंने ज्ञात किया कि इलेक्ट्रॉन का विद्युदावेश ४.८´१०-१० स्थिरवैद्युत् मात्रक (electrostatic unit) होता हैं। इन्होंने प्रकाश वैद्युत् (photo electric) प्रभाव के लिये आइंस्टाइन के सूत्र eV=hu-p की प्रायोगिक जाँच सफलतापूर्वक की और प्लांक नियतांक, h, का मान ६.५६ ´१० -२७ अर्ग सेकंड प्राप्त किया। सन् १९२२ के पश्चात् इन्होंने अनंत अंतरिक्ष से आनेवाली तीव्र भेदनवाली किरणों के संबंध में अनुसंधान किया। आकाश में हजारों फुट उँचाई तक में तथा पानी में सैकड़ों फुट गहराई तक में, इन किरणों की भेदन शक्ति की माप की गई और मिलिकैन ने यह सिद्ध किया कि तीव्र भेदनवाली किरणें वायुमंडल के बाहर के अनंत अंतरिक्ष प्रदेश से आती हैं। अंत में इन किरणों का नाम कॉस्मिक किरण रखा गया। प्रकाशविद्युत् तथा इलेक्ट्रॉन आवेश संबंधी अनुसंधानों के उपलक्ष में इन्हें १९२३ ई० में नोबेल पुरस्कार दिया गया। सन् १९५३ में इनका देहावसान हो गया। [अंबिका प्रसाद सक्सेना]