मित्रावरुण मित्र तथा वरुण नाम के दो देवताओं का अधिकांश पुराणों में इस एक ही शब्द द्वारा उल्लेख है ऋग्वेद में दोनों का अलग और प्राय: एक साथ भी वर्णन है। मित्र द्वादश आदित्यों में से हैं। जिनसे वशिष्ठ का जन्म हुआ। वरुण से अगस्त्य की उत्पति हुई और इन दोनों के अंश से इला नामक एक कन्या उस यज्ञकुंड से प्रगट हुई जिसे प्रजापति मनु ने पुत्रप्राप्ति की कामना से रचाया था। स्कंदपुराण के अनुसार काशी स्थित मित्रावरुण नामक दो शिवलिंगों की पूजा करने से मित्रलोक एवं वरुणलोक की प्राप्ति होती है।
[रा० हिं०]