मित्र, दीनबंधु (१८२९-१८७४): बंगला नाटककार। बंकिम चंद्र चट्टोपध्याय के समकालीन थे। उनका प्रथम नाटक 'नीलदर्पण' (ढाका, १८६०) तत्कालीन ग्रामीण किसानों पर निलेह गोरों के अत्याचारों की कथावस्तु पर आधारित है। यद्यपि शिल्प की द्दृष्टि से यह बहुत सफल कृति नहीं कही जा सकती, तथापि रंगमंच पर नाटक काफी प्रभावकारी सिद्ध हुआ। 'नवीन तपस्विनी' (कृष्णनगर, १८६३) भी तकनीक और शैली में बहुत महत्व नहीं रखता। 'सधवार एकादशी' (१८६६) मित्र की सर्वोत्तम रचना है और निश्चय ही बंगला साहित्य को एक महत्वपूर्ण योगदान है। इसमें चरित्रचित्रण की सूक्ष्मता निस्संदेह प्रशंसनीय है।

मित्र के अन्य नाटकों में लीलावती (१८६७) 'जमाई बारिक' (१८७२) और 'कमलकामिनी' (१८७३) उल्लेखनीय है।