मटो, जॉन गिल्बर्ट इलियट लार्ड (१८४५-१९१४), गिल्बर्ट इलियट लार्ड मिंटो का प्रपौत्र तथा टॉमस हिसलय का नाती था। १८९८ से १९०४ तक वह कनाडा का गवर्नर-जनरल था। नवंबर, १९०५ से नवंबर, १९१० तक वह भारत में वाइसराय रहा। उसके समय १९०७ में अंग्रेज-रूसी-संधि के फलस्वरूप भारत सरकार को रूस के भय से मुक्ति मिली। रूस ने अफगानिस्तान को अपने प्रभाव क्षेत्र से बाहर मान लिया तथा तिब्बत और फारस के मामलों पर उससे समझौता हो गया।

मिंटो ने कृषि और शिक्षा की व्यवस्था के प्रति रुचि दिखाई। १९०६ में कृषिसेवा का निर्माण हुआ। १९०८ में पूना में कृषि कालेज खोला गया। १९१० में शिक्षा विभाग की स्थापना हुई। १९०७ में चीन के साथ अफीम का व्यापार समाप्त हो जाने से सरकार तथा किसानों को बहुत हानि हुई।

भारतीय इतिहास में मिंटो का शासनकाल उग्र राष्ट्रीयता तथा आतंकवाद का युग था। कर्ज़न की नीति से तीव्र उत्तेजना तथा १९०५ में रूस के विरुद्ध जापान की विजय से नवीन जाग्रति पैदा हुई। १९०६ में कांग्रेस ने स्वराज की माँग की। स्वदेशी, बहिष्कार तथा राष्ट्रीय शिक्षा आंदोलनों ने जोर पकड़ा। तिलक का उग्रवाद लोकप्रिय बना। आशंकित होकर मिंटो ने दमनचक्र चलाया, कूटनीतिक तोड़ फोड़ की तथा साम नीति अपनाई। जन आंदोलनों, समाचारपत्रों और सार्वजनिक सभाओं पर रोक लगा दी। बिना जाँच के उग्र नेताओं को बंदी बनाया, उन्हें कठोर दंड दिया या निर्वासित किया। बंदरगाहों पर कठोर नियंत्रण लगाकर क्रांति के लिये विदेशों से मदद आने की संभावना नष्ट कर दी। १९०६ में मुस्लिम शिष्ट मंडल को लीग बनाने के लिये प्रेरित किया। १९०९ में सांवैधानिक सुधार द्वारा मुसलमानों की स्वामिभक्ति प्राप्त की और उदारवादियों को तोड़ लिया। जिससे राष्ट्रीयता विश्रृखलित हो गई।

[हीरालाल गुप्त]