मालवीय कृष्णकांत जन्म इलाहाबाद में १८८३ ई० में (ज्येष्ठ शुक्ल ११, सं० १९४० वि०) में हुआ। आप महामना मदनमोहन मालवीय के बड़े भाई जयकृष्ण मालवीय के द्वितीय पुत्र थे। १९०४ ई० में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी०ए० किया। १९१० ई० में 'अभ्युदय' के संपादक हुए और १९११ ई० में मासिक 'मर्यादा' का भी संपादन शुरू किया जिसमें साहित्यक, राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर विचारपूर्ण लेख प्रकाशित होते थे। १९१६-१८ वर्ष की अवधि मे अभ्युदय के संपादक पद से अलग रहे पर १९१८ से १९३० ई० तक फिर 'अभ्युदय' के संपादक रहे। मर्यादा का संपादन १९२२ तक किया। सत्याग्रह आंदोलनों के संबंध में तीन बार जेल गए। केंद्रीय एसेंबली के सदस्य लगभग १२ वर्ष तक रहे। आपके विचारों पर लाला लाजपत राय और महात्मा गांधी का प्रभाव अधिक था। फलत: विधवा विवाह, अछूतोद्वार औरश् पैत्रिक संपति में लड़कियों को भी हिस्सा मिलने का समर्थन किया। पहले विश्व महायुद्ध के समय संसार संकट स्तंभ के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय राजनीति का विश्लेषण हिंदी पत्रकारिता को आपकी विशेष देन थी। उर्दू शायरी के बड़े प्रेमी थे और स्वयं उर्दू कविता करते थे। भाषा सरल, स्पष्ट और उर्दू की पुट लिए रहती थी। लगभग आधे दर्जन बँगला और मराठी उपन्यासों के अनुवाद के अतिरिक्त चार मौलिक पुस्तकों की रचना की- (१) सोहागरात (२)मनोरमा के पत्र (३) 'मातृत्व' और (४) 'संसार संकट'। ३ जनवरी, १९४१ ई० को दिल्ली में मृत्यु हुई। [बलभद्रप्रसाद मिश्र]