मार्शल ऐल्फ्रडे (जन्म १८४२, मृत्यु १९२८), लंदन के एक मध्यवित्त परिवार में जन्म। विद्यार्थी काल में अति कुशाग्र। गणित एवं समाजिक विज्ञान में विशेष अभिरूचि। दर्शन शास्त्र, विशेष रूप से हिगले और कांट, का अध्ययन। महान् दार्शनिकों के प्रभाव ने उच्च आदर्शो में विश्वास पैदा किया। डारविन के सिद्धांत से सामाजिक परिवर्तन में विश्वास हुआ। अपने से पूर्व के और समकालिक अर्थशास्त्रियों के अध्ययन के परिणाम स्वरूप सभी विचारधाराओं और प्रवृतियों से पूर्ण परिचित था। १८७७ से ४ वर्ष तक युनिवर्सिटी कालेज, ब्रिस्टल, तथाश् उसके बाद दो वर्ष तक आक्सफोर्ड में अध्यापक रहा। १८८५ में कैब्रिज विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रधान के रूप में नियुक्ति। १९०८ से जीवन के अंतिम दिनों तक केंब्रिज से रिसर्च प्रोफेसर के रूप में संबंधित रहा। केंब्रिज स्कूल ऑफ इकनामिक्स की स्थापना की। कैंब्रिज को अर्थशास्त्र के अध्ययन का प्रमुख केंद्र बनाया। उसका प्रमुख लक्ष्य था सत्य की खोज। अर्थशास्त्र की अध्ययन प्रणाली को एक नया रूप देने का श्रेय उसे है। स्मिथ की अर्थशास्त्र की परिभाषा की आलोचना के प्रकाश में अर्थशास्त्र की नई परिभाषा दी। 'उपभोग' को अर्थशास्त्र के एक अलग विभाग का रूप दिया। 'उपभोक्ता की बचत' 'प्रतिनिधि फर्म' की धारणा उसकी देन है। अर्थशास्त्र के सभी प्रमुख अंगों पर प्रकाश डाला। र्केस ने उसको १०० वर्षों तक का सबसे महान् अर्थशास्त्री माना है। उसके आर्थिक विश्लेषण ने आर्थिक विचारधारा के इतिहास में उसे प्रमुख स्थान प्रदान किया। सरकारी स्तर पर स्थापित विभिन्न आयोगों में उसने कार्य किया। 'अर्थशास्त्र के सिद्धांत' नामक ग्रंथ १८९० में प्रकाशित हुआ।

सं० ग्रं०--- भटनागर-ए हिस्ट्री ऑफ इकनामिक थाट, जिड तथा रिस्ट-ए हिस्ट्री आफ इकॉनामिक डाक्ट्रिन, एरिकरोल-ए हिस्ट्री आफ इकॉनामिक थाट, मार्शल, प्रिंसिपल्स आफ इकॉनामिक्स।

[उदयनारायण पांडेय]