मारीच सुंद और ताड़का का पुत्र (बा० र० बा०, २५) और रावण का अनुचर जिसे अजेयत्व के वरदान स्वरूप १० हजार हाथियों का बल प्राप्त था। विश्वामित्र के यज्ञ में विघ्न पहुँचाने पर राम ने बाण से इसे १०० योजन दूर समुद्र में फेंक दिया। अंत में सीताहरण के लिये सोने के कपट मृग का रूप धारण करने पर यह राम द्वारा मारा गया।

[रामज्ञा द्विवेदी]