मांधाता इक्ष्वाकुवंशीय नरेश युवनाश्व और गौरी का पुत्र, सौ राजसूय तथा अश्वमेध यज्ञों का कर्ता और (विष्णुo, ४|२|१९), दानवीर (महाo, अनुo, ७४|४, ८१|५), धर्मात्मा (पदमo उo ५७) चक्रवर्ती सम्राट् जो वैदिक अयोध्या नरेश मंधातृ (ऋ० १-११२|१३ ८-३९|८) से अभिन्न माना जाता है। यादव नरेश शशबिंदु की कन्या बिंदुमती इनकी पत्नी थीं जिनसे मुचकुंद, अंबरीष और पुरुकुत्स नामक तीन पुत्र और ५० कन्याएँ उत्पन्न हुई थीं जो एक ही साथ सौभरि ऋषि से ब्याही गई थीं। पूत्रेष्ठियज्ञ के हवियुक्त मंत्रपूत जल को प्यास में भूल से पी लेने के कारण युवनाश्व को गर्भ रह गया जिसे ऋषियों ने उसका पेट फाड़कर निकाला। वह गर्भ एक पूर्ण बालक के रूप में उत्पन्न हुआ था जो इंद्र की अमृतस्त्राविणी तर्जनी उँगली चूसकर रहस्यात्मक ढंग से पला और बढ़ा। इंद्रपालित (इंद्र के यह कहने पर कि माता के स्तनों के अभाव में यह शिशु 'मेरे द्वारा धारण किया' अथवा पाला जाएगा) होने के कारण उसका नाम मांधाता पड़ा। यह बालक आगे चलकर पर पराक्रमी हुआ और रावण समेत (भागo ९|६|२६) अनेक योद्धाओं को इसने परास्त किया (वायुo ९९|८)। इसने विष्णु तथा उतथ्य से राजधर्म और वसुहोम से दंडनीति की शिक्षा ली थी। गर्वोन्मत्त होने पर या लवणासुर द्वारा युद्ध में मारा गया।
[श्याम तिवारी]