म्ाहावीर नवीं शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ थे। ८५० ईo में इन्होंने गणित-सार-संग्रह नामक पुस्तक लिखी, जिससे उस काल की हिंदू ज्यामिति एवं अंकगणित की उन्नत अवस्था का आभास मिलता है। सर्वप्रथम इन्होंने ही लघुतम समापवर्त्य की कल्पना की और भिन्नों के समच्छेदन का नियम दिया। इन्होंने ज्ञात किया कि किसी वृत्त के खंड का सन्निकट क्षेत्रफल १/२ (ग + क) क होता है। बीजगणित को इनकी सबसे महत्वपूर्ण देन, गुणोत्तर श्रेणी के प्रथम न पदों के योग का सूत्र है, जिसका प्रयोग आज भी किया जाता है। [ रामकुमार ]