महाबोधि सोसायटी (भारतीय) विश्व के एवं भारत के बौद्ध धर्मियों की प्रमुख संस्था; प्रधान कार्यालय, ४-ए, बंकिम चटर्जी स्ट्रीट, कलकत्ता १२। इसकी स्थापना ३१ मई १८९१ ईo को सिलोन (लंका) निवासी अनागारिक धर्मपाल के द्वारा सिलोन में हुई। ६ दिसंबर, १९१५ ईo को भारत सरकार के कंपनी ऐक्ट ७; १९१३ ईo के अनुसार इसकी रजिस्ट्री हुई। तब भारत और सिलोन की शाखाओं के नाम तथा कार्यक्षेत्र अलग हो गए।
प्रमुख उद्देश्य -- १. बौद्ध धर्म, बौद्ध संस्कृति, बौद्ध तीर्थों और बौद्ध समाज में पुन: जागरण लाना और उनका संगठन करना।
२. बौद्ध साहित्य के पालि तथा संस्कृत भाषा के ग्रंथों को पुन: प्रकाशित करना और उनके प्रचार को प्रोत्साहन देना।
३. बौद्ध शिक्षा, बौद्ध संस्कार और बौद्ध सिद्धांतों का विस्तार।
४. बौद्ध मठ, मंदिर, संघाराम, बिहार, स्तूप, चैत्य और बौद्ध मूर्तियों का जीर्णोद्धार करना, स्थापन करना, तथा उनकी मर्यादा की रक्षा करना।
५. बौद्ध कला, बौद्ध शिल्प तथा बौद्ध आदर्शों का प्रचार बढ़ाना।
६. बौद्ध दर्शन, बौद्ध साधना, बौद्ध उपासना का स्तर बढ़ाना।
७. बौद्ध भिक्षु तथा भिक्षुणियों के पवित्र जीवनस्तर को संरक्षण और सहायता देना।
कार्य की सफलता -- अपने ७३ वर्ष के जीवन में इस संस्था ने ८०४ आजीवन सदस्य तथा ३७१ साधारण सक्रिय सदस्य बनाए हैं। सदस्यों में सिलोन, जापान, श्याम, कंबोडिया, बर्मा, इंग्लैंड, पश्चिम जर्मनी, फ्रांस तथा अमरीका प्रभूति देशों के नाम उल्लेखनीय हैं। कुल ७० देशों से इसका बौद्ध धर्मप्रचार का धार्मिक समन्वय है।
गत ७२ वर्ष से अंग्रेंजी भाषा में 'महाबोधि' नाम की मासिक पत्रिका और २८ वर्ष से 'धर्मदूत' नाम की हिंदी मासिक पत्रिका प्रकाशित करती आ रही है।
शाखा सभाएँ -- १. धर्मराजिका बिहार, ४-एo बंकिम चटर्जी स्ट्रीट, कलकत्ता, इसके अंतर्गत एक मंदिर है, जिसमें आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिला के भत्तीप्रोलू ग्राम से प्राप्त इतिहासप्रसिद्ध भगवान् बुद्ध की अस्थि (धातु) संरक्षित है। भगवान् बुद्ध की अष्टधातु तथा श्वेत मर्मर की प्रतिमा पूजित हैं।
नि:शुल्क वाचनालय तथा पुस्तकालय है। एक विशाल भवन में महाबोधि अनाथाश्रम और अनाथ विद्यालय चलता है। धर्मपाल इंस्टिट्यूट ऑव कल्चर तथा `इंटरनेशनल गेस्ट हाउस` का निर्माण हो रहा है।
२. सारनाथ, वाराणासी शाखा -- मूलगंधकुटी विहार: यहाँ इतिहास प्रसिद्ध तक्षशिला, नागार्जुनी कुंड, और मीरपुर कस्स (सिंध) से प्राप्त भगवान् बुद्ध की अस्थियाँ संरक्षित और पुजित हैं। अपना विशाल मंदिर तथा पुस्तकालय है। धर्मार्थ नि:शुल्क चिकित्सालय, अंतर्जातीय निवास, निवास, नि:शुल्क विद्यालय, बौद्ध संघाराम, आर्य धर्मसंघ, धर्मशाला आदि चलते है।
३. बंबई शाखा -- यहाँ बहुजन विहार, परेल बंबई, और आनंद विहार, डॉo आनंदराव नया रोड, बंबई पर चल रहे हैं। अपना मंदिर और निवासस्थान है।
४. नई दिल्ली शाखा -- बुद्ध बिहार, रीडिंग रोड, नई दिल्ली। इस शाखा के पास भी अपना मंदिर और संघाराम हैं।
सहकारी संस्थाएँ -- महाबोधि सोसाइटी, सिलोन; महाबोधि सोसाइटी १० केन्नर लेन, इगमोर मद्रास; महाबोधि सेंटर, गांधी नगर बेंगलूरू; चैत्यगिरि विहार, साँची; महाबोधि रेस्ट हाउस, बुद्ध गया; बोद्ध मंदिर रिसालदार बाग, लखनउ; श्रीनिवास आश्रम, लुंबिनी रोड, तेतरी बाजार, जिला बस्ती, प्रभ्ति अंतरंग सहयोगी संस्थाएँ हैं।
सांची स्तूप बिहार में सारिपुत्त मोगल्लान (सारिपुत्र तथा मौद्गल्यायण) और सम्राट् अशोक द्वारा नियुक्त बौद्ध धर्म प्रचारक महास्थविर के धातु (अस्थियाँ) संरक्षित हैं।
प्रकाशन -- इस संस्था ने अभी तक बौद्ध धर्म के प्राचीन और कुछ नवीन ११७ मूल्यवान ग्रंथ प्रकाशित किए हैं -- हिंदी भाषा में ५०; अँग्रेजी में ४६ तथा बँगला में २१। [विश्वनाथ शास्त्री]