महदी, सैयद मुहम्मद जौनपुरी शताब्दियों से मुसलमानों में यह भविष्यवाणी चली आती है कि सृष्टि के अंतिम काल में मुहम्मद साहब के घराने से एक व्यक्ति पैदा होगा जो ईश्वर के दीन को संसार में पुन: स्थापित करेगा, न्याय फैलाएगा; मुसलमान उसका साथ देंगे और वह समस्त इस्लामी राज्यों को अपने अधिकार में कर लेगा। उसका नाम महदी होगा। कयामत के अन्य चिह्नों में महदी का प्रकट होना भी बताया गया है। इस कारण इस्लाम के ७० वर्ष के भीतर ही महदी प्रकट होने लगे तथा कयामत की प्रतीक्षा होने लगी। प्रत्येक राजनीतिक अथवा सामाजिक उथल पुथल को कयामत का द्योतक बताया जाता था किंतु सैय्यद मुहम्मद जौनपुरी ने राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के स्थान पर इस्लाम के शुद्धतम रूप के प्रचार का दावा किया। उनका जन्म ८ सितंबर, १४३३ ईo को जौनपुर में हुआ और उन्होंने शेख दानियाल से शिक्षा ग्रहण की। १४८९ ईo के लगभग वे हज के लिये चले और १४९५-९६ ईo में मक्के पहुँचे। वहाँ से लौटने के बाद गुजरात में महदी होने का दावा किया। आलिमों के विरोध पर सुल्तान महमूद बेगढ़ के आदेशानुसार गुजरात छोड़कर सिंध होते हुए अफगानिस्तान के फ़रह नामक स्थान पर पहुँचे और २३ अप्रैल, १५०५ ईo को वहीं चल बसे।
उनकी योग्यता एवं त्याग की प्रशंसा उनके शत्रु भी करते थे। उनके व्यक्तित्व में बड़ा आकर्षण था। जिस स्थान पर उनके अनुयायी जो महदवी कहलाते थे, एकत्र होकर अल्लाह की याद करते, उसे दायरा (क्षेत्र) कहा जाता था। तवक्कुल (सांसारिक साधनों का भरोसा हटाकर समस्त कार्य ईश्वर की इच्छा पर छोड़ देना) उनके जीवन का मुख्य आधार था। जो कुछ उन्हें प्राप्त हो जाता, सब मिलकर आपस में बराबर बराबर बाँट लेते। यह प्रथा सवय्यत कहलाती थी।
उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके उत्तराधिकारियों ने अनेक दायरे बना लिए जहाँ वे सैय्यद मुहम्मद के शिक्षानुसार जीवन व्यतीत करते थे। इस्लाम के १००० वर्ष व्यतीत हो जाने तथा कयामत के न आने एवं अन्य आंदोलनों के कारण महदवियों की ओर से लोगों की रुचि कम होने लगी और अब केवल हैदराबाद, जयपुर तथा पानलपुर में थोड़े से महदवी पाए जाते हैं।
संo ग्रंo -- अब्दुर्रहमान : सरित इमाम महदी; मियाँ अब्दुर्रशीद : नकलियात; मियाँ मुस्तफा : मक्तूबात; वली : इंसाफनामा (फारसी) अब्दुल मलिक सुजावंदी; सिराजुल अबसार (अरबी)।
सैo अo अo रिजवी: महदवी मूवमेंट इन इंडिया (मिडीवन इंडिया क्वार्टरली, अलीगढ़, वाल्यूम १,१९४९); मुस्लिम रिवाइवलिस्ट मूवमेंट्स इन नार्दर्न इंडिया इन दि सिक्सटींथ ऐंड सेवेंटींथ सेंचुरीज़। [सैयद अतहर अब्बास रिजवी]