मसारिक, टॉमस गरीगुए (१८५०-१९३७ ईo) टॉमस गरीगुए मसारिक चेकोस्लेवेक्रिया के प्रथम राष्ट्रपति थे। विएना विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर सन् १८७९ में उसी विश्वविद्यालय में वे दर्शन के प्राध्यापक नियुक्त हुए। सन् १८८२ में जब प्राग विश्वविद्यालय का विभाजन हुआ तो उनको चेक का आचार्य बनाया गया। चेक देशभक्तों की सोकोल नामक संस्था के सदस्य तथा निर्देशक के रूप में उन्होंने प्राग में अप्रचलित विषयों पर भाषण दिए तथा कुछ पुस्तकों को प्रकाशित किया। सन् १८९१ में मसारिक नव चेक दल के सदस्य बन संसद के लिये निर्वाचित हुए। किंतु शीघ्र ही उन्होंने त्यागपत्र देकर चेकवासियों के नैतिक उत्थान के लिये काम करना शुरू कर दिया।
सन् १९०० में मसारिक के समर्थकों ने उनके नेतृत्व में प्रगतिशील दल की स्थापना की जिसका प्रतिनिधित्व उन्होंने संसद में किया। सन् १९१४ में वे आस्ट्रिया छोड़कर विदेश चले गए और चार वर्ष तक निरंतर फ्रांस, स्विटजरलैंड, जर्मनी, इंग्लैंड तथा रूस में राजनीतिक तथा प्रचारात्मक काम करते रहे। विदेशों में रहनेवाले चेकवासियों के सहयोग से मसारिक ने चेकोस्लावक राष्ट्रीय परिषद नामक केंद्रीय क्रांतिकारी समिति की स्थापना की। वे इसके अध्यक्ष थे। अमरीका तथा दूसरे मित्र राष्ट्रों ने १९१८ ईo में मसारिक की राष्ट्रीय परिषद को चेकोस्लेवेकिया की भावी गणतन्त्र सरकार के रूप में तथा मसारिक को उसके प्रथम राष्ट्रपति के रूप में मान्यता प्रदान की। वे पुन: दो बार राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। सन् १९३५ में उन्होंने त्यागपत्र दे दिया।
मसारिक न केवल उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ ही थे वरन् प्रसिद्ध दार्शनिक भी थे। उन्होंने राजनीति, समाजशास्त्र तथा दर्शन पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं। [लालजी सिंह]