मनसूर, अल हल्लाज आपका जन्म बैज़ा के निकट तूर (फारस) में ८५८ ईo में हुआ। आपने फारस और मध्य एशिया के अनेक भागों तथा भारत की भी यात्रा की। सूफ़ी मत के अनलहक (अहं ब्रह्मास्मि) का प्रतिपादन कर, आपने उसे अद्वैत पर आधारित कर दिया। आप हुलूल अथवा प्रियतम में तल्लीन हो जाने के समर्थक थे। सर्वत्र प्रेम के सिद्धांत में मस्त आप इबलीस (शैतान) को भी ईश्वर का सच्चा भक्त मानते थे। समकालीन आलिमों एवं राजनीतिज्ञों ने आपके मुक्त मानव भाव का घोर विरोध कर २६ मार्च, ९२२ ईo को निर्दयतापूर्वक बगदाद में आठ वर्ष बंदीगृह में रखने के उपरांत आपकी हत्या करा दी। किंतु साधारणत: मुसलमान मानवता के इस पोषक को शहीद मानते हैं। आपकी रचनाओं में से किताब-अल-तवासीन को लुई मसीनियों ने पेरिस से १९१३ ईo में प्रकाशित कराया। आपके अन्य फुटकर लेख और शेर बड़े प्रसिद्ध हैं।

संo ग्रंo--ब्राउन, ईo जीo : लिट्रेरी हिस्ट्री ऑव पर्शिया, खंड १, कैंब्रिज, १९६४। [ सैयद अतहर अब्बास रिजवी]