मधुकैटभ असुरों के पूर्वज पुराणप्रसिद्ध राक्षसद्वय। इनकी उत्पत्ति कल्पांत तक सोते हुए विष्णु के कानों की मैल (महाo, शांति, ३५५/२२; देo भाo १-४) अथवा पसीने (विष्णु धर्मo १-१५) या क्रमश: रजोगुण और तमोगुण (महाo शांतिo, ३५५/२२; पद्मo सृo, ४०) से हुई थी। जब ये ब्रह्मा को मारने दौड़े तो विष्णु ने इनका वध कर दिया। तभी से विष्णु मधुसूदन और कैटभजित् कहलाए। मार्कंडेय पुराण के अनुसार उमा ने कै टभ को मारा था जिससे वे कैटभा कहलाईं। महाभारत और हरिवंश पुराण का मत है कि इन असुरों के मेदा के ढेर के कारण पृथ्वी का नाम मेदिनी पड़ा था। पद्मपुराण के अनुसार देवासुर संग्राम में ये हिरण्याक्ष की ओर थे। [ रामज्ञा द्विवेदी ]