मद्रास १. राज्य, स्थिति : ८° ४' उo अo से १३° ५०' उo अo तथा ७६° १५' पूo देo से ८०° ११' पo देo। यह भारत का एक दक्षिण-पूर्ण राज्य है यह मद्रास नगर के कुछ उत्तर से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। १ नवंबर, सन् १९५६ में हुए राज्य पुनर्गठन के फलस्वरूप इसका कुछ अंश मैसूर एवं केरल राज्यों में मिला दिया गया है और इसी राजय के उत्तरी भाग को इससे अलग कर आंध्र प्रदेश बना दिया गया है। अब वर्तमान मद्रास राज्य का क्षेत्रफल ५०,३३१ वर्ग मील है। इसके उत्तर में मैसूर एवं आंध्रप्रदेश, पश्चिम में केरल राज्य, दक्षिण में हिंद महासागर एवं पूर्व में बंगाल की खाड़ी स्थित है।
प्राकृतिक दशाएँ--राज्य का अधिकतर भाग समुद्र तटीय मैदान से बना है। केवल पश्चिम की ओर पहाड़ी भाग पाया जाता है। धरातल के आधार पर राज्य को दो भागों में बाँटा जा सकता है : १. पूर्वी समुद्र तटीय निचला मैदान, २. उत्तर-पश्चिम का उच्च प्रदेश। प्रथम भाग कावेरी तथा पेनियार आदि नदियों के द्वारा लाई हुई मिट्टी से बना है एवं सामान्यतया २०० मीटर से कम ऊँचा है। यह प्रदेश कर्नाटक कहलाता है। दूसरा भाग कठोर चट्टान का बना है एवं उसकी ऊँचाई सामान्यता १,५०० मीटर के आसपास हैं। पश्चिम की ओर केरल तथा मद्रास की सीमा पर नीलगिरि, पालनी एवं इलायची की पहाड़ियाँ फैली हुई हैं। पूर्वी घाट की पहाड़ियों का दक्षिणी क्रम मद्रास में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में पचाई मलाई, शेवाराय आदि पहाड़ियों के रूप में फैला है। नीलगिरि पहाड़ियों की प्रसिद्ध चोटी दोदाबेटा है जिसकी ऊँचाई २,६३३ मीटर है। नीलगिरि के दक्षिण में पालघाट का दर्रा है।
जलवायु--जलवायु के दृष्टिकोण से मद्रास राज्य उष्णकटिबंध में स्थित है। जून, जुलाई में औसत ताप लगभग ३२° सेंo रहता है। वार्षिक ताप सामान्यतया ११° सेंo से अधिक नहीं रहता। गरमी की ऋतु प्राय: शुष्क रहती है। वृष्टिछाया प्रदेश में होने के कारण मई से सितंबर तक मद्रास के किसी भी भाग में औसत रूप में ५०° सेंमीo से अधिक वर्षा नहीं होती, परंतु जाड़े के दिनों में लौटते हुए उत्तर-पूर्वी मानसून से अधिक वर्षा होती है। पूर्वी तटीय प्रदेश में १०० से ११० सेंमीo तक वर्षा हो जाती है। कुछ चक्रवातीय वर्षा भी होती है।
वनस्पति--प्राकृतिक वनस्पति की दृष्टि से राज्य अधिक घना नहीं है। वनों के अंतर्गत १४,००० वर्ग किमीo भूमि है जो राज्य के क्षेत्रफल का १४ प्रति शत है। इसमें सागौन, चंदन, सिनकोना एवं रबर आदि के पेड़ पाए जाते हैं। जंगली जानवरों में हाथी, चीता, तथा पालतू जानवरों में गाय, भैंस, बकरी, सूअर आदि मुख्य हैं।
जनसंख्या--राज्य की जनसंख्या ३,३६,८६,९५९ (१९६१) है। यहाँ की प्रमुख भाषा तमिल है। जनसंख्या का घनत्व २६९ व्यक्ति प्रति वर्ग किमीo है। लगभग ३० प्रति शत लोग साक्षर हैं। सभी धर्मों के लोग जैसे हिंदू, मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, जैन और सिख यहाँ बसते हैं। सबसे अधिक संख्या हिंदुओं की है। मद्रास, मदुरै, कोयंपुत्तूर, त्रिचनापल्लि, सेलम, पालयमकोट्टि, तूतिकोरन, बेलूर, तंचावूर आदि प्रमुख नगर हैं।
कृषि -- यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है। लगभग ६१.५४ प्रति शत जनसंख्या खेती पर निर्भर रहती है एवं ४२.४ प्रति शत भूमि पर खेती होती है। खेतिहर भूमि के ८० प्रति शत भाग पर खाद्य फसलें उगाई जाती हैं जिनमें धान, ज्वार, और बाजरा मुख्य फसलें हैं। कपास, मूँगफली, तंबाकू, गन्ना, चाय आदि मुख्य व्यावसायिक फसलें हैं। केले, आम और रसदार फल भी उत्पन्न होते हैं। वर्षा की अनिश्चितता के कारण सिंचाई का सहारा लेना पड़ता है। लगभग २० लाख हेक्टेयर भूमि नहरों, तालाबों आदि के द्वारा सींची जाती है, विभिन्न नदियों पर बाँध बनाकर नहरें निकाली गई हैं। सिंचाई की मुख्य मुख्य योजनाएँ मैसूर, निम्न भवानी, अरनिया, अमरावती एवं सठनूर आदि हैं।
खनिज संपत्ति -- राज्य में मैग्नेसाइट, बौक्साइट, कच्चा लोहा, जिप्सम, अभ्रक, चूने का पत्थर, चीनी मिट्टी आदि महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ मिलते हैं। लिग्नाइट, कोयला आर्काडु में एवं बौक्साइट, लोहा एवं मैग्नेसाइट खनिज सेलम जिले में मिलते हैं।
उद्योग धंधे -- मद्रास राज्य में वस्त्र, चीनी, सीमेंट, इंजीनियरिंग का समान, तंबाकू, साइकिल एवं चमड़ा आदि के प्रमुख उद्योग होते हैं। राज्य ११ करोड़ से अधिक रुपए की खाल एवं चमड़े का निर्यात करता है। बनियाइन, ऊनी एवं रेशमी वस्त्र, लोहा तथा इस्पात, चाय, कहवा, तेल, चावल, खाद्य, रसायनक, कागज, साबुन, काँच, लकड़ी चीरने आदि के कारखाने भी पाए जाते हैं। कुटीर उद्योगों का भी अच्छा विकास हुआ है।
व्यापार तथा यातायात--राज्य में सड़कों की लंबाई ६५ हजार किमीo है तथा रेलवे लाइनों का भी जाल सा बिछा है। मद्रास तथा नागपट्टणम, कारिकल आदि मुख्य बंदरगाह हैं। निर्यात के मुख्य पदार्थ कपास, सूती वस्र, मूँगफली, सिगरेट, चीनी, चाय, खाल तथा चमड़ा आदि हैं।
२, नगर स्थिति : १३° ४' उo अo तथा ८०° १७' पूo देo। यह नगर मद्रास राज्य की राजधानी है। नगर की स्थापना सन् १६४० में फ्रांसिस डे, जो आर्मागन (Armagon) में ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रधान थे, के द्वारा हुई तथा लगभग एक शताब्दी तक प्रमुख ब्रिटिश बस्ती रही। यह समुद्र के किनारे पर बसा है। इसका क्षेत्रफल लगभग ५० वर्ग मील है। नगर का पुराना भाग नियोजित नहीं है। विश्वविद्यालय, जंतरमंतर, अस्पताल, गिरजाघर, चेपाक महल आदि दर्शनीय हैं। कुम (Cooum) नदी तथा बकिंघैम नहर नगर के क्षेत्र में हैं। नगर की जनसंख्या १७,२९,१५१ (१९६१) है। भारत के बड़े नगरों में इसका चौथा स्थान है। यहाँ सूती कपड़ा, सिगरेट, मोटर, साइकिलें, मशीनें, दवाइयाँ, सीमेंट, दियासलाई, चमड़ा, काँच का सामान, रसायनक आदि के कारखाने हैं। यह प्रसिद्ध व्यापारिक नगर एवं भारत का तीसरा प्रधान बंदरगाह है। अनुकूल भौगोलिक परिस्थितिया के अभाव में इसका निर्माण एक कृत्रिम बंदरगाह के रूप में किया गया है जिसका पृष्ठप्रदेश विस्तृत है आवागमन के साधनों का अच्छा विकास हुआ है। यहाँ से चमड़ा, हड्डी, हड्डी की खाद, तंबाकू, तिलहन, मूँगफली का तेल, अभ्रक, मैंगनीज तथा कहवे का निर्यात एवं गेहूँ, चावल, पेट्रोल, इंजन, कागज तथा दवाओं आदि का आयात किया जाता है। [सुरेशचंद्र शर्मा]