मत्स्यगंधा ब्रह्मा के शाप से मत्स्यभाव को प्राप्त हुई 'अद्रिका' नाम की अप्सरा के गर्भ से उपरिचर वसु द्वारा उत्पन्न एक कन्या जिसका नाम बाद में सत्यवती भी हुआ। मछली का पेट फाड़कर मल्लाहों ने एक बालक और एक कन्या को निकाला और राजा को सूचना दी। बालक को तो राजा ने पुत्र रूप से स्वीकार कर लिया किंतु बालिका के शरीर से मत्स्य की गंध आने के कारण राजा ने मल्लाह को दे दिया। पिता की सेवा के लिये वह यमुना में नाव चलाया करती थी। पराशर मुनि ने उसपर मुग्ध होकर उसका कन्या भाव नष्ट किया तथा शरीर से उत्तम गंध निकलने का वरदान दिया अत: वह गंधवती नाम से भी प्रसिद्ध हुई। उसका नाम योजनगंधा भी था। उससे व्यास का जन्म हुआ। बाद में राजा शांतनु से उसका विवाह हुआ। [ चंद्रभान पांडेय]