मतीस, हेनरी (१८६९-१९५४) फ्रांस का चित्रकार। 'फाविज्म' चित्रशैली का नायक।
फ्रांस की १९वीं और २०वीं शताब्दी ने चित्रकला के क्षेत्र में अनेक वादों का सिलसिला कायम किया। 'फाविज्म' (जंगली जानवर) उनमें से एक है जिसका नायक हेनरी मतीस माना जाता है। सन् १९०५ में कुछ कलाकारों ने अत्यंत काल्पनिक तथा रंगीन चित्र एक आर्ट गैलरी में प्रदर्शित किए। कला-आलोचक लुई वाकसेल्स ने इनके चित्र देखकर इन्हें 'फाव्स' की संज्ञा प्रदान की। फाविज्म चित्रकला के क्षेत्र में एक शैली की तरह नहीं बल्कि एक विचारधारा को लेकर आया। यह चित्रकार परंपरा के पूर्ण विरोधी थे और कला में मौलिक कल्पना को अपनी कला का मूलाधार मानते थे। इनमें प्रमुख थे मतीस, लार्मिक, रुआ तथा दराँ।
मतीस सन् १८६९ में उत्तरी फ्रांस के ल कातु नामक स्थान पर उत्पन्न हुआ था। उसकी माता को चित्रकला में रुचि थी। मतीस को उच्च शिक्षा मिली और उम्मीद थी कि वह अच्छा वकील बनेगा। २१ वर्ष की अवस्था में वह बीमार पड़ा और इसी समय उसकी रुचि चित्रकला की ओर पूर्ण रूप से जागृत हो उठी। उसने 'बुआ आर्ट्स', 'जूलें अकादमी' तथा 'लूव्र' में कलाशिक्षा ग्रहण की। शुरू में दामिआ, देगा, लात्रेक इत्यादि फ्रेंच कलाकारों की कला ने उसे प्रभावित किया पर जिस दिन उसने एशिया, अफ्रीका, चीन, जापान, भारत इत्यादि पूर्वीय देशों की कला को पहली बार देखा उसी दिन उसे अपने रास्ते का पता लग गया। सही माने में मतीस की कला पूर्वीय देशों की प्राचीन कला की ऋणी है।
आधुनिक फ्रेंच चित्रकारों में मतीस पहला प्रभावशाली कलाकार है जिसने पाश्चात्य आधुनिक कला में यथार्थता के स्थान पर कल्पना तथा लयात्मकता को प्रतिष्ठा प्रदान की। ये दोनों बातें आदर्शवृत्ति की परिचायक हैं और मतीस को एक उत्तम आदर्शवादी कलाकार ही कहना उचित होगा। वह संभ्रांत घराने का था ही, पढ़ा लिखा, प्रबुद्ध तथा जागरूक और परिष्कृत रुचि का भी था। सौंदर्य का पारखी था। उसने अपने व्यक्तित्व के अनुरूप स्वतंत्र रूप से अपनी कला को सँवारा। न वह समाजसुधारक बनता था, न विज्ञानवेत्ता, जैसा कि १९वीं शताब्दी के अन्य फ्रांसीसी कलाकारों ने किया था। वह शुद्ध कला का साधक था। प्रकृति में, मानवीय जीवन में और अपनी कल्पना में जहाँ भी सौन्दर्य मिला उसने ग्रहण किया और अपने चित्रों में उतारा।
मतीस के चित्र अन्य सभी पाश्चात्य आधुनिक कलाकारों से भिन्न हैं, खास कर रंग प्रयोग की दृष्टि से। मतीस के बहुप्रशंसित चित्र हैं 'गोल्ड फिश', रेड स्टूडियो', 'द यंग इंगलिश गर्ल', 'गर्ल इन व्हाइट ड्रेस' तथा 'प्लम ट्री ब्रांच ऑन अ ग्रीन बैकग्राउंड'। इस प्रकार के सभी चित्रों में पूर्वीय देशों की प्राचीन भित्ति चित्रकला (म्यूरल पेंटिंग) का सा आंनद मिलता है जिनमें गाढ़े लाल (गेरू का सा रंग) या नीले रंग की जमीन पर सफेद चमकदार रंगों से उभारकर चित्रसज्जा की जाती है।
वैसे आज पाब्लो पिकासो अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण संसार का बहुचर्चित कलाकार है, पर मतीस को भी बहुत से लोग इस युग का उच्चतम सरकार मानते हैं। [रामचंद्र शुक्ल ]