भोपाल के नवाब (१७२३-१९४९ ई०) भोपाल राज्य का प्रथम नवाब दोस्तमुहम्मद खाँ बर्कजाई कबीले का पठान योद्धा था। उसने १७२३ में इस राज्य की स्थपना की। १७४० में उसकी मृत्यु होने पर उसका अल्पवयस्क पुत्र मुहम्मद खाँ उसका उत्तराधिकारी बना किंतु कुछ ही समय बाद दोस्तमुहम्मद के अवैध पुत्र यारमुहम्मद खाँ ने शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली। उसकी पत्नी मामूलह बेगम का प्रभाव ५० वर्ष तक शासन पर पड़ा।
१७५४ में यारमुहम्मद का बेटा फैजमुहम्मद खाँ नवाब बना। वह धार्मिक प्रवृति का एकांतवासी व्यक्ति था। उसके राज्य का आधा भाग पैशवा ने छीन लिया। १७७७ में उसका भाई हयातमुहम्मद खाँ नवाब बना। वह भी अपने भाई की भाँति अयोग्य निकला। प्रथम मराठा युद्ध में उसने जेनरल गॉडर्ड को सहायता देकर अंग्रेजों को मित्र बनाया। १७९८ में उसका राज्य पिंडारियों तथा मराठों के आक्रमणों का निरंतर शिकार बनता रहा। ऐसी स्थिति में उसके योग्य चचेरे भाई वजीर मुहम्मद खाँ को नौकरी देकर राज्य को सुरक्षित किया। १८०७ में हयातमुहम्मद की मृत्यु हुई किंतु वास्तविक सत्ता वजीरमुहम्मद के हाथ में रही। १८१६ में वजीर मुहम्मद के पुत्र नजरमुहम्मद ने पिता का स्थान प्राप्त किया। उसने हयातमुहम्मद के पुत्र गौसमुहम्मद की बेटी कुदसिया बेगम से विवाह करके तथा अंग्रेजों को पिंडारियों के विरुद्ध सहायता देकर अपनी स्थिति दृढ़ की। १८१८ में उसने एक संधि द्वारा भोपाल को सदैव के लियेश् एक संधि द्वारा भोपाल को सदैव के लिए अंग्रेजों के अधीन मित्र राज्य बना दिया। अंग्रेजों ने उसे ही असली नवाब मान लिया।
१८२० में नजीरमुहम्मद की अकस्मात् मृत्यु हो जाने पर कुदसिया बेगम ने अपनी नाबालिग बेटी सिकंदर के नाम से शासन किया। उसने जामा मस्जिद बनवाई तथा त्रिवर्षीय बंदोबस्त लागू किया। १८३७ में सिकंदर बेगम का पति जाहाँगीर मुहम्मद अंग्रेजों की सहायता से नवाब बना। उसने जहाँगीराबाद बसाया। १८४४ में उसके मर जाने पर सिकंदर बेगम नवाब बनी। तब से १९२६ तक महिलाओं ने ही भोपाल में शासन किया।
नवाब सिकंदर बेगम बहुत प्रभावशाली तथा योग्य शासिका सिद्ध हुई। उसने शासन को सुव्यवस्थित किया। पुलिस संगठन, डाक व्यवस्था, सड़क निर्माण, शिक्षा प्रसार, पंद्रहवर्षीय बंदोबस्त, मुद्रा सुधार तथा व्यापार वृद्धि उसकी प्रमुख उपलब्धियाँ थीं। १८५७ में उसने अंग्रेजों को विशेष सहायता दी जिससे उसे खिताब, सनद तथा प्रदेश मिले।
१८६८ में सिकंदर बेगम की बेटी शाहजहाँ बेगम नवाब बनी। वह बहुत बुद्धिमती शासिका थी। उर्दू में भोपाल का इतिहास लिखा। शासन को आधुनिक रूप देना, जिलोंश् के शासन का संगठन, जेलों की व्यवस्था, स्त्रियों की शिक्षा तथा चिकित्सा का प्रबंध, पक्की सड़कों का निर्माण, चुंगी की कमी, भोपाल हुर्शंगबाद तथा भोपाल उज्जैन रेलमार्ग बनाने के लिये भूमि तथा धन दान, १८९७ में अंग्रेजी सिक्का चलाना, द्वितीय अफगान युद्ध में अंग्रजों को सहायता देना, तथा ताजुल मस्जिद, लालकोठी, बारामहल और ताजमहल भवन बनवाना उसके उल्लेखनीय कार्य हैं।(हीरालाल गुप्त)
१९०१ में शाहजहाँ बेगम की पुत्री सुल्तानजहाँ बेगम गद्दी पर बैठी। वह भी कुशल शासिका थी। उसने अपनीश् माँ के शासन को विकसित किया। डाक व्यवस्था को अंग्रेजी व्यवस्था के अंतर्गत कर दिया। प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों को सहायता दी।
१९२६ में नवाब सुल्तानजहाँ बेगम का सुशिक्षित एवं सुयोग्य पुत्र मुहम्मद हमीदुल्ला खाँ नवाब बना। उसने शासन को नया रूप दिया। वह नरेशमंडल का प्रमुख सदस्य तथा अनेक वषों तक उसका चांसलर रहा। १९३१-३२ में वह गोलमेज कफ्रोंस में समिलित हुआ। १९४७ में उस के राज्य का प्रशासन भारतीय संघ ने ले लिया और १९४६ में उसे निजी कोष स्वीकृत किया गया।
[हीरालाल गुप्त]