भूलभुलैयाँ प्रकोष्ठों ओर मार्गों का ऐसा जाल है जो भ्रम में डाल देता है तथा जिसके कारण निकासमार्ग का ज्ञान होना कठिन होता है। इसका आधुनिक रूप व्यूह है। मनोरंजन के लिये बगीचों में दोनों ओर पौधे अथवा बाढ़ इस प्रकार लगाई जाती है कि निकास मार्ग तथा बगीचे का केंद्र ज्ञात करना कठिन होता है इंग्लैंड के हैंपटन कोर्ट राजमहल में बगीचे की भूलकुलैयाँ का सर्वोत्कृष्ट नमूना वर्तमान है। अब तो बहुत से खेल भी इस आधार पर बनाए गए हैं। इनसे खिलाड़ी की कुशाग्र बुद्धि की परीक्षा होती है। प्राचीन काल में भारत तथा विदेशों में सम्राटों ने जो भूलभुलैयाँ बनवाई, उनमें निम्नलिखित प्रमुख है:

ईजिप्शियन भूलभलैयाँ २३०० ई० पू० अमैनेही (Amenehe) तृतीय द्वारा बनाई गई थी। हिरोडोट्स के अनुसार यह मोएरिस (Moeris) झील के सामने पूर्व की ओर स्थित थी और चारों ओर दीवार से घिरी हुई थी। इस दुमंजिली इमारत में १२ दरबार हाल तथा १,५०० कमरे प्रथम मंजिल में और १,५०० कमरे द्वितीय मंजिल में थे। सभी छतें पत्थर की थी और दीवालों पर नक्काशी की हुई थी। इसके एक ओर २४३ फुट ऊँचा एक पिरामिड था। कहा जाता है, क्रीट नगर में भी ईजिप्शियन भूलभुलैयाँ जैसी ही भूलभुलैयाँ बनाई गई थी। इटली की पोर्सियन समाधि भी प्रसिद्ध भूलभुलैयाँ है। भारत में लखनऊ के नवाब वजीर आसफुद्दौला ने १७८४ ई० में इमामबाड़ा नामक भवन बनवाया जिसमें, भूलभुलैयाँ का एक भारतीय नमूना हैं। लेमनिएन (Lemnian) की भूलभुलैयाँ भी प्रसिद्ध है, जो ईजिप्शियन भूलभुलैयाँ के आधार पर ही बनी है। इसमें १५० स्तंभ हें।(अजितनारायण मेहरोत्रा)