भाऊसिंह हाड़ा राव छात्रसाल के पुत्र। मुगल सम्राट् औरंगजेब के दरबार में एक सेवक। इसे तीन हजारी २००० सवार का मंसव प्राप्त था। शुजाअ के विरुद्ध युद्ध में तोपखाने की सेना में कार्य किया। वहाँ से लौटने पर इन्हें दक्षिण का प्रबंध सौंपा गया। चाकण दुर्ग (इस्लामाबाद) की विजय में यह शाइस्ता खाँ के साथ थे। महाराज शिवाजी के विरुद्ध शाइस्ता खाँ के साथ और बाद में मिरजा राजा जयसिंह के साथ थे। चाँदा के राजा पर आक्रमण के समय दिलेर खाँ के साथ थे। औरंगाबाद में बहुत दिनों तक फौजदार रहे। वहाँ अनेक इमारतें बनवाईं, और अपनी वीरता तथा दानशीलता के कारण बहुत प्रसिद्ध हुए। सुल्तान मुहम्मद मुअज्जम से इनकी घनिष्ठ मित्रता थी। सन् १६७७ में इनकी मृत्यु हो गई।